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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बोले- टीपू सुल्तान की मौत ऐतिहासिक थी, बीजेपी नेता ने कहा था- क्रूर हत्यारा

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मैसूर के 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान की तारीफ करते हुए कहा कि टीपू अंग्रेजों से लड़ते हुए 'ऐतिहासिक मृत्यु' को प्राप्त हुए थे।

Updated on: 26 Oct 2017, 12:26 AM

highlights

  • राष्ट्रपति ने कहा, टीपू सुल्तान अंग्रेजों से लड़ते हुए ऐतिहासिक मृत्यु को प्राप्त हुए थे
  • कोविंद ने कहा, टीपू मैसूर रॉकेट के विकास के अग्रदूत थे
  • अनंत कुमार हेगड़े ने टीपू सुल्तान को क्रूर हत्यारा, नीच कट्टरपंथी व सामूहिक दुष्कर्मी करार दिया था

नई दिल्ली:

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मैसूर के 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान की तारीफ करते हुए कहा कि टीपू अंग्रेजों से लड़ते हुए 'ऐतिहासिक मृत्यु' को प्राप्त हुए थे। 

इसके साथ ही कोविंद ने उन्हें मैसूर रॉकेट के विकास का 'अग्रदूत' करार दिया। 

कर्नाटक विधानसभा और विधान परिषद की 60वीं वर्षगांठ पर संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, 'टीपू सुल्तान अंग्रेजों से लड़ते हुए ऐतिहासिक मृत्यु को प्राप्त हुए थे। वह मैसूर रॉकेट के विकास के अग्रदूत थे।'

राष्ट्रपति ने राज्य व देश के निर्माण में मैसूर और कर्नाटक के पूर्व शासकों, सैनिकों, राजनीतिज्ञों और वैज्ञानिकों के योगदान को सराहा। कोविंद ने टीपू के बारे में जैसे ही बोला, पूरे सदन ने इसका जोरदार स्वागत किया।

आपको बता दें कि कांग्रेस की नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने 10 नवंबर को टीपू सुल्तान की जयंती मनाने का फैसला किया है। राज्य की सिद्दारमैया सरकार के आयोजन पर बीजेपी निशाना साध रही है।

बीजेपी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने राष्ट्रपति के भाषण में टीपू सुल्तान का जिक्र कर राष्ट्रपति कार्यालय का गलत इस्तेमाल किया है। वहीं कांग्रेस ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह का आरोप लगाने के लिए विपक्ष को शर्म आनी चाहिए।

पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अनंत कुमार हेगड़े ने टीपू सुल्तान को क्रूर हत्यारा, नीच कट्टरपंथी व सामूहिक दुष्कर्मी करार दिया था।

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वहीं मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने राष्ट्रपति के भाषण पर उनकी तारीफ की है। सिद्धारमैया ने ट्वीट कर कहा, 'कर्नाटक विधान मंडल में स्टेट्समैन के जैसे भाषण पर माननीय राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को बधाई।'

आपको बता दें कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने साल 2015 से टीपू सुल्तान की जयंती मनाना प्रारंभ किया है जिसके बाद राज्य और राज्य से बाहर दक्षिपंथी संगठनों ने इसका विरोध किया था और कई जगह हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे।

'टाईगर ऑफ मैसूर' के रूप में विख्यात टीपू सुल्तान ने अपने पिता हैदर अली के बाद वर्ष 1782-1799 तक मैसुर सम्राज्य की कमान संभाली थी।

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