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जानिए किस-किस राजनीतिक दल के चुनाव चिन्ह को चुनाव आयोग ने किया है जब्त

चुनाव आयोग द्वारा इससे पहले भी अन्य पार्टियों के चुनाव चिन्ह जब्त किए जा चुके हैं। आइए जानते हैं किस- किस पार्टी के चुनाव चिन्ह को चुनाव आयोग ने अब तक जब्त किया है।

Updated on: 16 Jan 2017, 07:10 PM

नई दिल्ली:

समाजवादी पार्टी में जारी घमासान के बीच अब पार्टी के चुनाव चिह्न 'साइकल' किसको मिलेगा इस बात का फैसला चुनाव आयोग करेगा। चुनाव आयोग सपा का चुनाव चिह्न 'साइकल' अखिलेश यादव को दे सकता है या फिर आयोग द्वारा इसे जब्त भी किया जा सकता है। चुनाव आयोग द्वारा इससे पहले भी अन्य पार्टियों के चुनाव चिह्न जब्त किए जा चुके हैं। आइए जानते हैं किस- किस पार्टी के चुनाव चिह्न को चुनाव आयोग ने अब तक जब्त किया है।

1- डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने 1951 में भारतीय जनसंघ बनाया जो आज भारतीय जनता पार्टी के नाम से जानी जाती है। उस समय भारतीय जनसंघ का चुनाव चिह्न 'दीपक' हुआ करता था। 1977 में भारतीय जनसंघ को जनता पार्टी कहा जाने लगा और उसका चुनाव चिह्न 'हलधर किसान' हो गया। इसी पार्टी का स्वरूप 1980 में भाजपा हो गया, जिसका चुनाव चिह्न कमल का फूल निर्धारित किया गया। कमल का फूल पार्टी का चुनाव चिह्न होने के बाद चुनाव आयोग ने अन्य 2 चुनाव चिह्न 'दीपक' और 'हलधर किसान' जब्त कर लिया गया।

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2- 1977 में नवगठित जनता पार्टी ने 'चक्र हलधर' सिंबल के साथ आम चुनाव लड़ा और जीतने पर मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। कुछ दिनो बाद ही पार्टी में अनबन शुरू हो गई और 1979 में पार्टी का विभाजन हो गया।

3-1885 में कांग्रेस का चुनाव चिह्न , हल के साथ दो बैल, थे। उसके बाद चुनाव चिह्न बदल कर गाय-बछड़ा हुआ। इसके बाद भी कांग्रेस के चुनाव चिह्न बदल कर 'पंजा' का सबसे पहले इंदिरा गांधी ने इस्तेमाल किया था। इंदिरा जी ने पार्टी को नई शक्ति का संचार किया और नई कांग्रेस बनाई। उनका मानना था कि हाथ का पंजा शक्ति, ऊर्जा और एकता का प्रतीक है। हाथ चुनाव चिह्न होने के बाद पार्टी के अन्य दो चिह्न 'हल के साथ दो बैल, और गाय-बछड़ा को चुनाव आयोग ने जब्त कर लिया।

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4-ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम का भी एक इतिहास रहा है। 1987 में एम.जी. रामचंद्रन की मृत्यु के बाद एआईएडीएमके को लेकर जानकी रामचंद्रन और जयललिता के बीच अनबन हो गई। अत: चुनाव आयोग ने दोनों को एमजीआर के उत्तराधिकारी के रूप में पार्टी की कमान सम्हालने में अयोग्य करार दिया। परिणामस्वरूप दोनों को पृथक चुनाव चिह्न आवंटित किए गए। जानकी रामचंद्रन को 'दो कबूतर' तथा जयललिता गुट को 'बांग देता हुआ मुर्गा' चुनाव चिह्न दिया गया। हालांकि, द्रमुक के शक्तिशाली बनकर उभरने से उक्त मामला हल हो गया और 1989 में जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके को 'दो पत्तियां' चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया गया।