logo-image

पीएनबी घोटाला: LoU की रकम के हिसाब से सभी बैंक कर्मचारियों में बंटते थे कमीशन: सीबीआई सूत्र

सीबीआई सूत्रों ने कहा कि पीएनबी ब्रांच के सभी कर्मचारियों में रकम बंटती थी, इसमें एलओयू की रकम के हिसाब से कमीशन तय होता था।

Updated on: 18 Feb 2018, 10:12 AM

नई दिल्ली:

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के 11,400 करोड़ रुपये के महाघोटाले के आरोप में शनिवार को गिरफ्तार हुए तीन अधिकारियों से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पूछताछ कर रही है।

गिरफ्तार तीनों अधिकारियों में पीएनबी के पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी, मनोज खरात और हेमंत भट हैं, जिन्हें 3 मार्च तक के लिए पुलिस रिमांड पर रखा गया है।

सीबीआई की पूछताछ में कई अहम खुलासे सामने आ रहे हैं। पूछताछ के दौरान सामने आया कि बड़े अधिकारियों की जानकारी में ही लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) बनाई जाती थी।

सीबीआई सूत्रों ने कहा कि पीएनबी ब्रांच के सभी कर्मचारियों में रकम बंटती थी, इसमें एलओयू की रकम के हिसाब से कमीशन तय होता था।

सीबीआई ने कहा कि इस घोटाले में नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के अलावा कई अन्य लोगों के नाम सामने आ सकते हैं। सीबीआई सूत्रों ने यह भी कहा कि गिरफ्तार किए गए आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

सीबीआई की पूछताछ में नीरव मोदी की कंपनियों के अधिकारिक हस्ताक्षरकर्ता हेमंत भट ने कहा कि किसी भी एलओयू से पहले नीरव मोदी और उनके परिवार को दिखाते थे।

वहीं पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी ने कहा, 'मैंने अपनी कमाई से फ्लैट खरीदा था।'

इससे पहले शनिवार को सीबीआई ने कहा था, 'पीएनबी के तीनों अधिकारियों के पास से काफी कागजात बरामद किए जा सकते हैं जिससे कि इस महाघोटाले के बारे में और स्पष्टीकरण आ सके।'

सीबीआई ने आगे कहा, '14 दिनों की रिमांड इसलिए है क्योंकि हमें शक है कि केवल नीरव मोदी के नाम से 6000 करोड़ रुपये का घोटाला हो सकता है जबकि बैंक ने इस बारे में 280 करोड़ रुपये के फर्ज़ीवाड़े की ही बात कही है।'

क्या है एलओयू:

लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) बैंक गारंटी देने का एक प्रावधान है जिसके तहत एक बैंक अपने ग्राहकों को किसी दूसरे भारतीय बैंक के विदेशी शाखा से शॉर्ट टर्म क्रेडिट के रूप में पैसे लेने की इजाजत देता है।

यदि पैसे लेने वाला खाताधारक डिफॉल्टर हो जाता है तो एलओयू कराने वाले बैंक की जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाये का भुगतान करे जिससे उसके ग्राहक ने पैसे लिए थे।

पीएनबी के अधिकारियों ने गलत तरीके से नीरव मोदी को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) दिया जिसके आधार पर वह दूसरे बैंकों से विदेश में कर्ज लेने में सफल रहा।

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब विदेशी बैंकों ने पीएनबी से पैसों की मांग की थी। बता दें कि यह घोटाला साल 2011 से चल रहा है।

और पढ़ें: पीएनबी घोटाला: रायपुर में मेहुल चोकसी के ज्वेलरी शोरूम पर छापा