महाशिवरात्रि: पीएम मोदी ने भगवान शिव की 112 फुट ऊंची प्रतिमा का किया अनावरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाशिवरात्रि के मौके पर कोयंबटूर में भगवान शिव की 112 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा का अनावरण किया।
कोयंबटूर (तमिलनाडु:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि योग दुनिया में शांति का सर्वाधिक संभावना वाला औजार है, और साथ ही स्वास्थ्य का पासपोर्ट भी है। मोदी ने यहां ईशा फाउंडेशन में भगवान शिव की 112 फुट ऊंची अर्धप्रतिमा का अनावरण करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया शांति, शांत मन चाहता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि शांति का एक सबसे मजबूत औजार योग है, जिससे तनाव से लड़ा जा सकता है।
मोदी ने अपने भाषण में इस प्राचीन कला के लाभों की व्याख्या करते हुए कहा, 'पूरी दुनिया शांति चाहती है, न सिर्फ युद्धों और संघर्षो से बल्कि तनाव से भी मुक्त होकर शांति चाहती है। और हमारे पास योग है। यदि शरीर मन का मंदिर है, तो योग एक सुंदर मंदिर का निर्माण करता है।'
ईशा फाउंडेशन की स्थापना सदगुरु जग्गी वासुदेव ने की है। मोदी खुद भी योग करते हैं और उन्होंने कहा कि योग शारीरिक व्यायाम के आगे भी बहुत कुछ है। उन्होंने कहा कि दुनिया व्यापक पैमाने पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाती है।
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उन्होंने कहा आदि योगी भगवान शिव ने कई पीढ़ियों को योग के लिए प्रेरित किया। मोदी ने आगे कहा कि योग ने एक लंबी यात्रा तय की है और इसकी विभिन्न पद्धतियां और शैलियां हैं, लेकिन योग की खुशबू एक जैसी ही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'यह योग की सुंदरता है। यह प्राचीन है, फिर भी आधुनिक है, यह स्थिर है, फिर भी विकसित हो रहा है।'
मोदी ने कहा कि इसकी प्राचीनता के कारण इसे खारिज करना नुकसानदायक है और इसे अगली पीढ़ी में समझ के साथ लेकर जाना है।
मोदी ने कहा कि योग एक उत्प्रेरक एजेंट है, जो जीव को शिव बना देता है और इसका अभ्यास करने से मन और शरीर के एक होने की भावना पैदा होती है।
मोदी ने कहा, 'योग मेरे से हमारे तक की एक यात्रा है।'
भारत की विविधरंगी संस्कृति के बारे में उन्होंने कहा कि विविधता देश की महान शक्ति है और यह झगड़े का कारण नहीं है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय लोग कई देवियों की पूजा करते हैं और यह देश कई महिला संतों की भी धरती है। उन्होंने कहा कि मानवता की प्रगति महिलाओं के सशक्तीकरण में निहित है और यह समय महिला केंद्रित विकास का है।
मोदी ने कहा, 'महिला देवत्व की अभिव्यक्ति है, जबकि पुरुष सिर्फ अपने अच्छे कर्मो से ही देवत्व की प्राप्ति कर सकता है।'
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