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हाई कोर्ट पहुंचा संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने का मामला, कांग्रेस ने बताया 'चुनावी तिकड़म'

मध्य प्रदेश सरकार के पांच संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

Updated on: 04 Apr 2018, 11:53 PM

highlights

  • मध्य प्रदेश सरकार के पांच संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है
  • भय्यू जी महाराज समेत पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने के फैसले को हाई कोर्ट की इंदौर बेंच मे चुनौती दी गई है

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश सरकार के पांच संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भय्यू जी महाराज समेत पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने के फैसले को हाई कोर्ट की इंदौर बेंच मे चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता रामबहादुर शर्मा ने पांचों धार्मिक नेताओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर याचिका दाखिल की है।

गौरतलब है कि राज्य शासन ने प्रदेश के विभिन्न चिन्हित क्षेत्रों विशेष रूप से नर्मदा के किनारे वृक्षारोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के प्रति निंरतर जन-जागरूकता अभियान चलाने के लिए विशेष समिति गठित की।

इस समिति में बतौर सदस्य नर्मदानन्द, हरिहरानंद, कंप्यूटर बाबा, भैय्यू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत को शामिल किया गया। सभी सदस्यों को राज्य मंत्री का दर्जा देने की बात कही गई है।

इस समिति के गठन और संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने पर राजनीतिक हल्कों में बहस का दौर शुरू हो गया है।

साथ ही बुधवार को तमाम अखबार राज्यमंत्री का दर्जा पाए संतों के पूर्व में लिए गए फैसलों से रंगे हुए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन संतों में से कई ने इंदौर में

28 मार्च को एक बैठक करके नर्मदा घोटाला यात्रा निकालने का ऐलान किया था। संतों ने नर्मदा किनारे हुए वृक्षारोपण में बड़े घोटाले का आरोप लगाया था। अब सरकार द्वारा उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने से सवाल उठने लगे हैं। यही कारण है कि कई संत पद को ठुकराने का मन बना रहे हैं।

वहीं कांग्रेस ने इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी की राजनीतिक चाल करार दिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा, 'यह सियासी फायदे के लिए राजनीतिक चाल है। इसके जरिए मुख्यमंत्री अपना पाप धोने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने नर्मदा के संरक्षण को नजरअंदाज कर दिया। इन संतों को यह देखना चाहिए कि क्या राज्य सरकार ने नदी के किनारे 6 करोड़ पेड़ लगाए हैं या नहीं, जैसा कि सीएम ने दावा किया है।'

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