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सुप्रीम कोर्ट में पैलेट गन पर रोक लगाने की मांग,सरकार ने कहा- अलगाववादियों से नहीं करेंगे बात

पैलेट गन पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र सरकार को इस संबंध में निर्देश दे सकती है।

Updated on: 28 Apr 2017, 06:13 PM

highlights

  • पैलेट गन पर रोक लगाने के लिए जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन ने की मांग
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता सभी पक्षों से बात करे
  • केंद्र सरकार ने कहा, सरकार सिर्फ उन्हीं लोगों से बात करेगी जो सिर्फ जो जनता के प्रतिनिधि हैं

नई दिल्ली:

पैलेट गन पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र सरकार को इस संबंध में निर्देश दे सकती है, लेकिन क्या याचिकाकर्ता कोर्ट को आश्वस्त कर सकता है कि आगे से राज्य में पत्थरबाजी नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही याचिकाकर्ता से कहा कि वह सभी पक्षों से बात करे और उनकी राय कोर्ट में रखे। इस मामले में अब 9 मई को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने गन के इस्तेमाल के खिलाफ याचिका दायर करने वाली जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन से कहा, 'वो केंद्र सरकार को इसके बारे में निर्देश दे सकते ही, लेकिन क्या याचिककर्ता कोर्ट को आश्वस्त कर सकता है कि आगे से राज्य में पत्थरबाजी नहीं होगी?'

जम्मू एवं कश्मीर बार एसोसिएशन के नेताओं से हालात को सुधारने के लिए सकारात्मक सुझावों के साथ आगे आने की बात कहते हुए चीफ जस्टिस जगदीश सिंह केहर, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि यदि जम्मू एवं कश्मीर में पत्थरबाजी, हिंसा बंद होती है और विद्यार्थी कक्षाओं में वापस लौट जाते हैं तो हम सरकार से पैलेट गन का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहेंगे।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'यदि आप संविधान के ढांचे के भीतर कुछ सुझाव देते हैं तो हम आपको भरोसा देते हैं कि बातचीत की जाएगी।'

बार एसोसिएशन को सुझाव के साथ आने की मोहलत देते हुए अदालत ने कहा, 'आप हमें पहले बताइए कि आप क्या करेंगे। इसके बाद हम सरकार को निर्देश देंगे। यदि आप पत्थरबाजी जारी रखेंगे, तो यह काम कैसे होगा।'

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वहीं अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'बातचीत सिर्फ राजनीतिक स्तर पर हो सकती है। कोर्ट को बातचीत करने किये कोई आदेश नहीं करना चाहिए।' रोहतगी ने कहा, 'सरकार सिर्फ उन्हीं लोगों से बात करेगी जो सिर्फ जो कानूनी तौर पर जनता के प्रतिनिधि हैं, सरकार अलगावादियों और कश्मीर की आजादी के नारे लगाने वालों से बात नहीं करेगी।'

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