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पैराडाइज पेपर्स खुलासा: मंत्री जयंत सिन्हा से लेकर अमिताभ तक के नाम शामिल

टैक्स चोरी और पैसों को एक देश से दूसरे देश भेजने से जुड़े वित्तीय फर्मों के ऐसे खुलासे हुए हैं जिसमें विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा, सासंद रवींद्र किशोर सिन्हा, अमिताभ बच्चन से लेकर कई हस्तियों के नाम शामिल हैं।

Updated on: 06 Nov 2017, 11:59 AM

highlights

  • पैराडाइज पेपर्स खुलासे में मंत्री जयंत सिन्हा से लकर अमिताभ तक के नाम शामिल
  • पैराडाइज पेपर्स खुलासे में कुल 714 लोगों के नाम शामिल, ICIJ ने किया खुलासा

नई दिल्ली:

पनामा पेपर्स लीक के ठीक 18 महीने बाद पैराडाइज पेपर्स खुलासा हुआ है जिसमें 19 टैक्स हैवेन देशों और कंपनियों के बारे में खुलासा हुआ है। यह खुलासा  इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने किया है। 

इस लिस्ट में 714 भारतीयों के भी नाम शामिल है। ICIJ ने 1.34 करोड़ दस्तावेजों की जांच के बाद इन नामों का खुलासा किया गया है जिसे पैराडाइज पेपर्स का नाम दिया गया है।

ICIJ ने अपनी वेबसाइट पर भी दस्तावेजों की जांच के बाद सामने आए तमाम नामों कि लिस्ट जारी की है जिसे आप www.icij.org पर भी देख सकते हैं।

ICIJ की इस लिस्ट में विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा, सासंद रवींद्र किशोर सिन्हा, अमिताभ बच्चन समेत कई हस्तियों के नाम शामिल हैं।

इस कंसोर्टियम में 96 देशों के मीडिया संस्थान की मदद से यह काम किया जाता है। गौरतलब है कि पनामा पेपर्स के बाद यह खुलासा भी जर्मनी के एक अखबार Suddeutsche Zeitung ने किया है जिसकी जांच ICIJ की तरफ से की गई है।

ICIJ की रिपोर्ट के मुताबिक पैराडाइज पेपर्स खुलासे में करीब 180 देशों के लोगों के नाम शामिल हैं लेकिन नामों की संख्या के लिहाज से भारत का रैंक 19 वां हैं।

इस दस्तावेज में कुल 714 भारतीयों लोगों के नाम हैं और खास बात ये है कि एप्पलबाय का दूसरा सबसे बड़ा क्लाइंट भारतीय कंपनी है जिसकी दुनिया भर में करीब118 सहयोगी कंपनियां हैं। एप्पलबाय के भारतीय ग्राहकों में कुछ बड़े कॉरपोरेट्स और कंपनिया हैं जो आए दिन सीबीआई और ईडी के जांच के दायरे में रहते हैं।

ICIJ की रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा का नाम राजनीति में आने से पहले ओमिडीयर नेटवर्क में साझीदारी को लेकर सामने आया है। इस लिस्ट में अपना नाम आने पर जयंत सिन्हा ने ट्वीट कर अपनी सफाई दी है। 

उन्होंने कहा है, 'यह ध्यान देने वाली बात है कि यह लेनदेन डी. लाइट कंपनी के लिए एक ओमिडीयार प्रतिनिधि के रूप में किए गए थे। यह निजी उद्देश्य के लिए किया गया लेनदेन नहीं था।'

वहीं बीजेपी के सांसद और कारोबारी रवींद्र किशोर सिन्हा का नाम भी इस खुलासे में शामिल है। इस मामले में जब उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने लिख कर बताया, '7 दिन के मौनव्रत पर हूं।'

पैराडाइज पेपर्स खुलासे में अभिनेता संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त का भी नाम शामिल है। दस्तावेजों में मान्यता दत्त के पहले नाम दिलनशीं का भी जिक्र है।

खुलासे में इन भारतीयों कंपनियों और लोगों के नाम भी शामिल

ICIJ की रिपोर्ट में मंत्री, कारोबारी और फिल्मी हस्तियों के अलावा इसमें सन टीवी एयरसेट मैक्सिस केस, एस्सार लूप 2जी केस, एसएनसी लवलीन, केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन, जिक्वेस्टा हेल्थकेयर ( पहले सचिन पायलट और कार्ति चिदंबरम की स्वामित्व वाली) और वाइएसआर कांग्रेस चीफ जगन मोहन रेड्डी के नाम भी शामिल हैं।

भारत से फरार शराब कारोबारी विजय माल्या का भी नाम इस लिस्ट में शामिल हैं। इसके अलावा पैराडाइज पेपर्स के इस खुलासे में जिंदल स्टील, अपोलो टायर, हेवल्स, हिन्दुजा, ईएमआर एमजीएफ, वीडियोकॉन, हीरानंदानी ग्रुप और डीएस ग्रुप का नाम भी शामिल है।

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120 से ज्यादा दूसरे देशों के नेताओं के नाम उजागर

ICIJ की पैराडाइज पेपर्स खुलासे में रूस के एक फर्म का अमेरिकी कंपनी ट्विटर और फेसबुक में निवेश की बात भी सामने आई है।

इसके अलावा इस खुलासे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो, इंग्लैंड की क्वीन, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज समेत करीब 120 राजनेताओं के नाम भी उजागर हुए हैं।

इस पैराडाइज पेपर्स खुलासे में ज्यादातर बरमूडा की लॉ फर्म एप्पलबाय के दस्तावेजों की जांच की गई है। खास बात ये यह है कि करीब 119 साल पुरानी यह कंपनी कोई टैक्स सलाहकार कंपनी नहीं है।

यह वकीलों, बैंकर्स, अकाउंटेट्स और बाकी लोगों के नेटवर्क का बस सदस्य मात्र है। इस नेटवर्क में वो लोग भी शामिल हैं जो अपने क्लाइंट्स के विदेशों में कंपनियों को सेटअप करने और उनके बैंक खातों को मैनेज करने का काम करते हैं।

इस नेटवर्क के लोग टैक्स से बचाव, रीयल एस्टेट प्रॉपर्टी का मैनेजमेंट, विमान और अन्य चीजों को कम टैक्स देकर खरीदने और करोड़ो रुपयों को दुनिया के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में भेजने का काम करते हैं।

खुलासे में इस बात की तरफ ध्यान दिलाया गया है कि कैसे बड़ी कंपनियां टैक्स कानून की कमजोरियों का फायदा उठाकर अपने देश में टैक्स की चोरी कर लेती है।

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