GST के एक साल पूरे होने पर पी चिंदबरम ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, कहा इसे देश पर थोपा गया
देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के लागू होने के एक साल पूरे होने पर जहां मोदी सरकार इसका जश्न मना रही है वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने जीएसटी को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है।
नई दिल्ली:
देश में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के लागू होने के एक साल पूरे होने पर जहां मोदी सरकार इसका जश्न मना रही है वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने जीएसटी को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने पेट्रोलियम पदार्थों और इलेक्ट्रिसिटी को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग करते हुए कहा देश इसके लिए तैयार नहीं था और यह लोगों पर थोप दिया गया। उन्होंने जीएसटी की 28 फीसदी वाले स्लैब को भी खत्म करने की मांग की।
चिदंबरम ने जीएसटी की कमियां गिनाते हुए कहा इसने आम आदमी पर टैक्स का बोझ बढ़ाया है। जीएसटी कारोबारियों के लिए किसी खौफ से कम नहीं है और गलत तरीके से लागू किए जाने की वजह से लाखों लोगों की नौकरी चली गई।
उन्होंने कहा कि जीएसटी को लेकर एक वर्ग जो काफी खुश दिखाई दे रहा है, वह कर प्रशासन है, जिसने असाधारण शक्तियां हासिल कर ली हैं और वह मध्यम व्यापारियों व आम नागरिक को डराता है।
चिदंबरम ने कहा, 'जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक की शुरुआत से लेकर अबतक जीएसटी के संबंध में बीजेपी सरकार द्वारा उठाए गए प्रत्येक कदम में खामियां हैं।'
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, 'कुल मिलाकर परिणाम यह है कि आज जो हमारे पास है, वह एक बिल्कुल अलग प्रणाली है और यह असली जीएसटी नहीं है।'
चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी में कई दरों, जिसमें 40 फीसदी तक की दर शामिल है, और दरों पर मनमाना उपकर लगाने से 'जीएसटी का विचार विकृत हो गया है।
उन्होंने कहा, 'सच यह है कि जीएसटी के लिए देश तैयार नहीं हो पाया था, फिर भी यह व्यवस्था देश पर थोप दी गई।' कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि कर प्रशासन अप्रशिक्षित है।
पी चिंदबरम ने कहा, 'जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) का परीक्षण नहीं किया गया था। सच्चाई यह है कि जीएसटी फॉर्म-2 और जीएसटी फॉर्म-3 एक वर्ष बाद भी अधिसूचित नहीं हैं। प्रणाली को जीएसटी फॉर्म-1 और अस्थायी जीएसटी फॉर्म-3बी पर चलाया जा रहा है।'
कांग्रेस नेता ने कहा, 'इस तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता कि अभी तक जीएसटी ने आर्थिक वृद्धि पर सकरात्मक प्रभाव नहीं डाला।'
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु विधानसभा में उद्योग मंत्री के बयान के मुताबिक, दोषपूर्ण डिजाइन और जल्दबाजी में कार्यान्वयन के कारण 2017-18 में उस राज्य में 50 हजार एसएमई इकाइयां बंद हो गईं और पांच लाख लोगों ने अपनी नौकरियां खो दी।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा इसके दर और अनुपालन में इतनी खामियां है कि यह लोगों के लिए अब एक अपशब्द से कम नहीं है। उन्होंने कहा, जब साल 2006 में यूपीए सरकार ने जीएसटी लाने का सुझाव दिया था तो बीजेपी ने इसका कड़ा विरोध किया था वहीं अब इसे सबसे अच्छा बताकर गलत तरीके से लागू कर दिया।
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चिंदबरम ने जीएसटी में बदलाव की मांग करते हुए अधिकतम टैक्स स्लैब 18 फीसदी रखने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने एक तिमाही में एक रिटर्न भरने, रिफंड की प्रक्रिया को आसान बनाने, जीएसटीआर 2 और 3 को जल्द नोटिफाई करने जैसी कई अहम मांग की है।
दूसरी तरफ पी चिंदबरम के इन बयानों पर वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा जीएसटी लागू करने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आई और आर्थिक विकास प्रभावित नहीं हुआ है और उनके लिए इसका लागू होना अंगूर खट्टे हैं जैसा है।
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