विपक्ष का आरोप- सरकार के दबाव में राज्यसभा चेयरमैन, सदन का किया बायकॉट
गलवार को विपक्षी दलों ने चेयर (सभापति) पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाते हुए सदन से बायकॉट किया।
highlights
- विपक्षी दलों ने सभापति पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाते हुए सदन से बायकॉट किया
- गुलाम नबी आजाद ने कहा, सभापति लोकहित के मुद्दे पर बोलने नहीं दे रहे हैं, यह सही नहीं है
- आनंद शर्मा ने कहा, हम इसे अलोकतांत्रिक मानते हैं, हम लिखित में इसे राज्यसभा चेयरमैन को देंगे
नई दिल्ली:
राज्यसभा में सरकार और विपक्ष के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति बन गई है। मंगलवार को विपक्षी दलों ने चेयर (सभापति) पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाते हुए सदन से बायकॉट किया। विपक्षी दलों का कहना है कि उनकी बातों को सदन में तवज्जो नहीं दी जा रही है।
लंच के बाद सदन की कार्यवाही शुरु होते ही कांग्रेस, टीएमसी, एनसीपी, डीएमके, समजावादी पार्टी, सीपीआईएम, सीपीआई और आम आदमी पार्टी ने बहिष्कार किया।
विपक्षी दलों का क्या है आरोप
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'सभापति लोकहित के मुद्दे पर बोलने नहीं दे रहे हैं। यह सही नहीं है। इसलिए एकजुट विपक्ष ने आज दिनभर के लिए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया है।'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'हम इसे अलोकतांत्रिक मानते हैं। हम लिखित में इसे राज्यसभा चेयरमैन को देंगे। देश के विभिन्न हिस्सों से आने वारे संसद सदस्यों को बोलने नहीं दिया जा रहा है।'
लंच से पहले राज्यसभा में मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसदों ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी द्वारा राज्य के कामकाज में कथित हस्तक्षेप को लेकर दिए गए अपने स्थगन नोटिस को सभापति द्वारा नामंजूर करने पर जोरदार हंगामा किया।
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सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न किए जाने के कारण कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, सभापति एम.वेंकैया नायडू ने महत्वपूर्ण विधायी कामकाज पूरा किया और टीएमसी, टीडीपी और अकाली दल द्वारा दिए गए कई नोटिसों को खारिज कर दिया।
टीएमसी का नोटिस खारिज किए जाने के बाद पार्टी सांसद डेरेक ओब्रायन ने इस कदम का विरोध किया। उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि एक राज्यपाल निर्वाचित सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कैसे कर सकता है?
उन्हें हाथ में कागज पकड़े और यह कहते हुए सुना गया कि वह राज्यपाल के पत्र को सदन के पटल पर रखना चाहते हैं। हालांकि, अभी यह पता नहीं चल पाया है कि इस पत्र में क्या लिखा है।
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नायडू ने टीएमसी नेता से राज्यपाल का मुद्दा सदन में नहीं उठाने को कहा लेकिन डेरेक ओब्रायन ने इस आग्रह को अनसुना कर दिया। उन्होंने कहा, 'आप सदन को चलने देना नहीं चाहते। मैं सदन को स्थगित करूंगा। मैं सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर रहा हूं।'
सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले टीएमसी और तदेपा सांसदों ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया।
टीएमसी के सांसद पेट्रोल और डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे जबकि टीडीपी सांसद बजट में केंद्र सरकार के आंध्र प्रदेश के साथ कथित भेदभाव को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
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