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नोटबंदी के एक साल: ब्लैक डे Vs एंटी ब्लैक मनी डे, जुबानी जंग जारी

मोदी सरकार नोटबंदी को कालाधन, नकली नोट की आवाजाही और आतंकवाद-नक्सलवाद पर लगाम और डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के तौर पर पेश कर रही है। वहीं विपक्षी दलों ने 'संगठित लूट', 'दानवी कृत्य', 'असफलता की निशानी' की संज्ञा दी है।

Updated on: 08 Nov 2017, 01:57 AM

नई दिल्ली:

नोटबंदी के एक साल पूरे हो चुके हैं। सरकार इसे 'एंटी ब्लैक मनी डे' के रूप में मना अपनी पीठ थपथपा रही है तो विपक्ष ने इसे पूरी तरह विफल बता 'ब्लैक डे' घोषित किया है। पक्ष-विपक्ष के पास अपने-अपने आंकड़े और दावे हैं।

मोदी सरकार नोटबंदी को कालाधन, नकली नोट की आवाजाही और आतंकवाद-नक्सलवाद पर लगाम और डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के तौर पर पेश कर रही है। वहीं विपक्षी दलों ने 'संगठित लूट', 'दानवी कृत्य', 'असफलता की निशानी' की संज्ञा दी है।

सरकार के नोटबंदी के फायदे गिनाने के लिए पूरी कैबिनेट जुटी है।

पिछले साल 8 नवंबर को की गई नोटबंदी को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का एक महत्वर्पूण क्षण करार देते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि नोटबंदी का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य देश को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाना तथा काले धन के प्रवाह में कमी लाना था, जिसे प्राप्त कर लिया गया है।

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लेकिन, जेटली ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में स्वीकार किया कि कुछ लोगों को यह फायदा अभी नहीं दिख रहा है, लेकिन यह उनकी आनेवाली पीढ़ियों को दिखेगा।

वित्त मंत्री ने कहा, 'नोटबंदी का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य देश को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाना और ऐसा कर प्रणाली में काले धन के प्रवाह को कम करना था। नोटबंदी के बाद कुल 15.28 लाख रुपये बैंकिंग प्रणाली में वापस लौटे। यानि अर्थव्यस्था की लगभग समूची नकदी का पता लगा लिया गया है। अब यह गुमनाम नहीं रही।'

पूर्व पीएम मनमोहन बोले- नोटबंदी 'संगठित लूट'

पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को चुनावी राज्य गुजरात के अहमदाबाद में कहा कि नोटबंदी और 'बुरी तरह से तैयार की गई' तथा 'जल्दीबाजी में लागू की गई' जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) का 'दोहरा झटका' भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 'महाविपत्ति' साबित हुई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी 'संगठित लूट' है।

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मनमोहन सिंह ने छोटे व्यापारियों और कारोबारियों को संबोधित करते हुए कहा कि 'नोटबंदी का कदम हमारी अर्थव्यवस्था के लिए और वास्तव में हमारे लोकतंत्र के लिए काला दिन था।'

उन्होंने कहा, 'नोटबंदी के कारण आर्थिक रफ्तार घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई है। तब भी यह सकल अनुमान नहीं है। क्योंकि इसका वास्तविक नुकसान तो असंगठित क्षेत्र को हुआ है, जो जीडीपी की गणना में पर्याप्त रूप से शामिल ही नहीं है।'

उन्होंने कहा कि जीडीपी में हरेक फीसदी का नुकसान हमारे देश के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान है। लोगों की नौकरियां चली गईं, युवाओं के लिए नौकरियों के अवसर चले गए और व्यापारियों को अपना कारोबार बंद करना पड़ा।'

'लूट तो 2जी में हुई थी'

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पलटवार करते हुए कहा कि लूट तो वह है जो 2जी, कॉमनवेल्थ गेम्स और कोल ब्लॉक के आवंटन में हुए घोटाले में हुई थी।

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जेटली ने कहा कि इस फैसले के पीछे नैतिक व तार्किक कारण थे जिसने अर्थव्यवस्था को 'नई दिशा' दी है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि नैतिकता पर हमारी और कांग्रेस की सोच अलग-अलग है। उनका मुख्य उद्देश्य परिवार की सेवा करना है और हमारा प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्र की सेवा करना है।'

'ममता का प्रोफाइल फोटो ब्लैक'

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने मंगलवार को नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार की कड़ी निंदा की। ममता ने नोटबंदी को दानवी कार्य बताया और सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा निहित स्वार्थो के लिए काले धन को बदलकर सफेद करने के लिए नोटबंदी लागू करने का आरोप लगाया।

ममता बनर्जी ने सोमवार को नोटबंदी के खिलाफ प्रदर्शन में अपने ट्विटर अकाउंट पर तस्वीर को बदलकर काला कर दिया। टीएमसी प्रमुख ने अपने पार्टी नेताओं को नोटबंदी के खिलाफ इसकी पहली वर्षगांठ पर मंगलवार को 'ब्लैक डे' मनाने का निर्देश दिया।

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नोटबंदी की वर्षगांठ पर कांग्रेस व अन्य विरोधी दलों द्वारा 'काला दिवस' (ब्लैक डे) मनाए जाने की योजना पर कहा कि नोटबंदी का फैसला देश और आम लोगों के हित में है, जो इसका विरोध कर रहे हैं, वे बेईमानी के समर्थक हैं। नोटबंदी से नक्सलवाद, पत्थरबाजी और 'देह व्यापार' में कमी आई है।

सरकार में शिवसेना, लेकिन नोटबंदी का विरोध

शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि नोटबंदी के बाद पूरे साल वृद्धि दर नीचे रहने के कारण ऐसा लगता है कि नोटबंदी का इरादा संदिग्ध रहा है।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने लिखा कि नोटबंदी के दानव ने जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि गिरा दी, जबकि लाखों नौकरियां खत्म हो गईं, व्यापार बंद हो गए, जाली नोट, आतंकवाद व काला धन के अलावा सभी चीजों में गिरावट आई।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी के कदम को उठाने के लिए कालाधन, आतंकवाद व जाली नोट काल्पनिक कारणों में से थे।

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