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बुंदेलखंड: घटते जंगल के कारण पशुओं की संख्या में लगातार हो रही है कमी

घटते जंगल के कारण लगातार पशुओं की आबादी की कमी आई है। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में घटते जंगल और बढ़ती आबादी के बीच पशुओं की संख्या में कमी पाई गई।

Updated on: 22 Dec 2016, 01:58 PM

नई दिल्ली:

घटते जंगल के कारण लगातार पशुओं की आबादी की कमी आई है। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में घटते जंगल और बढ़ती आबादी के बीच पशुओं की संख्या में कमी पाई गई। 2012 में हुई पशु गणना में सिर्फ 44 हाथी और 74 ऊंट ही पाए गए हैं।

बुंदेलखंड में एक दशक में इस संख्या में 25 से 30 फीसदी की कमी आई है। एक दशक में कराई जाने वाली पशु गणना में इसका खुलासा हुआ है। पहाड़, जंगल और चट्टानी मैदान वाले बुंदेलखंड़ में अन्य जंगली जानवरों और पशुओं की संख्या के अलावा हाथी और ऊंटों की संख्या में लगातार कमी आ रही है।

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वर्ष 2012 की पशु गणना के आधार पर चित्रकूटधाम परिक्षेत्र बांदा के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. लाखन सिंह ने बताया, 'पिछले दशक की गणना के मुताबिक, इस दशक में 25 से 30 फीसदी हाथी और ऊंटों की संख्या में कमी आई है।'

उन्होंने बताया, 'वर्तमान समय में बुंदेलखंड में सिर्फ 44 हाथी बचे हैं, जिनमें 27 नर और 7 मादा हैं। बांदा जिले में सर्वाधिक 28 हाथी हैं। इनमें 21 नर व 7 मादा हैं। महोबा जिले में 3 और जालौन में 13 हाथी हैं। चित्रकूट और हमीरपुर में हाथियों की संख्या शून्य है।'

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उन्होंने कहा, 'इसी तरह ऊंटों की संख्या के बारे में बुंदेलखंड में कुल 74 ऊंट हैं, जिनमें सबसे ज्यादा बांदा में 60, चित्रकूट में 7, महोबा में 5 और हमीरपुर में 2 ऊंट हैं, जबकि जालौन में एक भी ऊंट नहीं है। हाथी और ऊंट जंगली नहीं बल्कि पालतू हैं।'

बुंदेलखंड में जल, जंगल और जमीन के मुद्दे पर काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार का कहना है कि दिन-रात जंगलों में कुल्हाड़ी चल रही है और पहाड़ों में किए जाने वाले विस्फोट के अलावा बढ़ती आबादी की वजह से जंगली जानवरों की संख्या में कमी आ रही है। जिसका दूरगामी परिणाम बड़ा भयावह होगा।