अलीगढ़ पहुंचेगा गोपालदास 'नीरज' का 'आखिरी कारवां', AMU को दान में मिलेगा शरीर
मशहूर गीतकार गोपालदास 'नीरज' का 'आखिरी कारवां' आज उनके निवास स्थान अलीगढ़ पहुंचेगा।
नई दिल्ली:
अलविदा!
अब शीघ्र करो तैयारी मेरे जाने की
रथ जाने को तैयार खड़ा मेरा
है मंज़िल मेरी दूर बहुत, पथ दुर्गम है
हर एक दिशा पर डाला है तम ने डेरा
कल तक तो मैंने गीत मिलन के गाए थे
पर आज विदा का अंतिम गीत सुनाऊंगा
कल तक आंसू से मोल दिया जग जीवन का
अब आज लहू से बाक़ी क़र्ज़ चुकाऊंगा
बेकार बहाना, टालमटोल व्यर्थ सारी
आ गया समय जाने का, जाना ही होगा
तुम चाहे कितना चीखो, चिल्लाओ, रोओ
पर मुझको डेरा आज उठाना ही होगा
मशहूर गीतकार गोपालदास 'नीरज' का 'आखिरी कारवां' आज उनके निवास स्थान अलीगढ़ पहुंचेगा। 19 जुलाई को दिल्ली के एम्स में दुनिया से अलविदा कह गए 'नीरज' का पार्थिव शरीर यहां अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।
सदाबहार गीतों से लोगों के दिल में हमेशा जिंदा रहने वाले 'नीरज' अपने शरीर को भी समाज की सेवा के लिए दान कर दिया था।
बता दें कि गोपालदास 'नीरज' ने 2015 में अपना पूरा शरीर दान में दे दिया था। ऐसे में उनका अंतिम संस्कार नहीं बल्कि शरीर को अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया जाएगा। जिसका अध्ययन के लिए उपयोग होगा। उन्होंने कर्तव्य संस्था के जरिए देहदान की घोषणा की थी।
'ऐ भाई जरा देख के चलो', 'मेरा मन तेरा प्यासा', 'शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब' और 'हरी ओम हरी' जैसे एक से बढ़कर एक गानें आज भी लोगों के जबान पर इस तरह से गुनगुनाते है जैसे अभी अभी लिखे गए हो।
मेरे गीत उदास न हो, हर तार बजेगा, कंठ खुलेगा,
मेरे देश उदास न हो, फिर दीप जलेगा, तिमिर ढलेगा |
कवि गोपाल दास नीरज को श्रद्धांजलि।
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