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AAP विधायकों ने अयोग्यता पर रोक लगाने वाली याचिका वापस ली, 20 MLAs ने EC के फैसले को दी है चुनौती

पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) को दिल्ली हाई कोर्ट से फिलहाल कोई फौरी राहत नहीं मिली है।

Updated on: 23 Jan 2018, 05:20 AM

highlights

  • विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने के मामले में आप को दिल्ली हाई कोर्ट से कोई फौरी राहत नहीं
  • दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 20 मार्च की तारीख तय की है

नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी (आप) के अयोग्य करार दिए गए विधायकों ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली।

विधायकों ने याचिका में चुनाव आयोग की सिफारिश पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसमें आयोग ने राष्ट्रपति से 20 विधायकों को लाभ का पद वाले मामले में उन्हें अयोग्य करार देने की सिफारिश थी।

जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि आप के छह विधायकों द्वारा दायर की गई याचिका बेकार हो गई है क्योंकि राष्ट्रपति ने पहले ही सभी 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की अधिसूचना जारी कर दी है।

अदालत का यह फैसला चुनाव आयोग (ईसी) द्वारा उसे यह सूचित करने के बाद आया कि वह विधायकों के अदालत में जाने से पहले ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपनी राय भेज चुका था।

अदालत ने कहा, 'अब इस याचिका में क्या बचा है, राष्ट्रपति ने अंतिम तौर पर आदेश पारित कर दिया है। याचिका को वापस लिया गया बताते हुए खारिज किया जाता है।'

कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए 20 मार्च की तारीख तय की है।

आप के विधायकों की तरफ से पेश हुए वकील ने कोर्ट को बताया कि वह लाभ के पद के मामले में विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने के राष्ट्रपति के आदेश का अध्ययन करने के बाद अपील दायर करेंगे।

वहीं इस मामले में चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट को बताया कि उसने 19 जनवरी को विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की सूचना 19 जनवरी को ही भेज दी थी।

गौरतलब है कि रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लाभ के पद के मामले में दोषी मानते हुए आप के 20 विधायकों की सदस्यता को रद्द किए जाने की चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर कर लिया था।

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून मंत्रालय ने इन विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी थी।

इसके बाद ही आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया था कि वह आयोग के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।

सदस्यता रद्द होने के बाद दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा था, 'हमें उम्मीद थी कि राष्ट्रपति हमें हमारा पक्ष रखने का समय देंगे। लेकिन अब हमें यह सूचना मिली है। आप इस मामले में हाई कोर्ट और अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।'

कोर्ट से राहत नहीं मिलने की स्थिति में इन 20 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव कराए जाएंगे।

फिलहाल दिल्ली विधानसभा में आधिकारिक तौर पर आप के 66 सदस्य हैं जबकि अन्य चार सीटें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास है। इसलिए इन विधायकों की सदस्यता रद्द किए जाने के बाद भी दिल्ली में आप की सरकार को कोई खतरा नहीं है।

जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया है, उनमें अलका लांबा, आदर्श शास्त्री, संजीव झा, राजेश गुप्ता, कैलाश गहलोत, विजेंदर गर्ग, प्रवीण कुमार, शरद कुमार, मदन लाल खुफिया, शिव चरण गोयल, सरिता सिंह, नरेश यादव, राजेश ऋषि, अनिल कुमार, सोम दत्त, अवतार सिंह, सुखवीर सिंह डाला, मनोज कुमार, नितिन त्यागी और जरनैल सिंह (तिलक नगर) शामिल हैं।

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उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर में चुनाव आयोग ने आप विधायकों की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ लाभ के पद का मामला खत्म करने का आग्रह किया था। आयोग ने आप विधायकों को नोटिस जारी कर इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा था।

आप सरकार ने मार्च 2015 में दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्यता हटाने) अधिनियम, 1997 में एक संशोधन पारित किया था, जिसमें संसदीय सचिव के पदों को लाभ के पद की परिभाषा से मुक्त करने का प्रावधान था।

लेकिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उस संशोधन को स्वीकृति देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने सितंबर 2016 में सभी नियुक्तियों को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि था कि संसदीय सचित नियुक्त करने के आदेश उपराज्यपाल की मंजूरी के बगैर जारी किए गए थे।

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