logo-image

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग क्या है, कैसे करेगा काम, जानें सब कुछ

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के संबंध में 123वां संविधान संशोधन विधेयक आज (सोमवार) को राज्यसभा में बहुमत के साथ पास हो गया।

Updated on: 06 Aug 2018, 07:07 PM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के संबंध में 123वां संविधान संशोधन विधेयक आज (सोमवार) को राज्यसभा में बहुमत के साथ पास हो गया। सरकार की तरफ से बिल में कुछ संशोधन किए गए हैं जिसमें आयोग में महिला सदस्य को भी शामिल किया गया है। साथ ही राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप को लेकर विपक्ष की शंका भी दूर करने की कोशिश की गई है।

इस बिल से क्या होगा?

  • राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे।
  • इस आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों के लिए राष्ट्रपति शर्तें और उनके पदों की अवधि तय करेंगे। हालांकि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग एक स्वतंत्र संस्था की तरह काम करेगी जिसके पास अपनी प्रक्रिया रेगुलेट करने की शक्ति होगी।
  • आयोग के पास संविधान के तहत सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए सुरक्षा उपाय से संबंधी मामलों की जांच और निगरानी करने का अधिकार होगा।
  • इन सबके अलावा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग पिछड़े वर्गों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में भाग लेगा और उन्हें सलाह भी देगा।

और पढ़ें: आखिरकार राज्य सभा में पास हुआ राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का संशोधित बिल, जानें कैसी रही बहस

आपको बता दें कि 1993 में गठित पिछड़ा वर्ग आयोग अभी तक सिर्फ सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ी जातियों को पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल करने या पहले से शामिल जातियों को सूची से बाहर करने का काम करता था।

इस विधेयक के पारित होने के बाद संवैधानिक दर्जा मिलने की वजह से संविधान में अनुच्छेद 342 (A) जोड़कर प्रस्तावित आयोग को सिविल न्यायालय के समकक्ष अधिकार दिये जा सकेंगे। इससे आयोग को पिछड़े वर्गों की शिकायतों का निवारण करने का अधिकार मिल जायेगा।

गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का संकल्प लिया था।

इससे पहले यह बिल दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ लोकसभा में पास हुआ था।

लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा था कि अब सरकार के संशोधनों के साथ आया विधेयक अत्यधिक सक्षम है और आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद आयोग पूरी तरह सशक्त होगा।

और पढ़ें:राज्यसभा में उपसभापति पद के लिए विपक्षी दलों का मंथन