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'महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाने का सरकार के पास आखिरी मौका'

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव किया गया है।

Updated on: 14 Jul 2018, 11:45 PM

नई दिल्ली:

महिला संगठनों ने सरकार से संसद के मानसून सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाने की मांग की है।

उनका कहना है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में महिला आरक्षण विधेयक पर सबसे ज्यादा विलंब हुआ है और मौजूदा सरकार के पास इस विधेयक को पारित करने का आखिरी मौका है।

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव किया गया है।

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के शासन काल में राज्यसभा में यह विधेयक पारित हुआ था और अभी लोकसभा में पारित होना बाकी है। 

यहां प्रेस क्लब में शुक्रवार को एक कार्यक्रम में देशभर से महिला संगठन इकट्ठा हुए थे जिसमें उन्होंने सरकार से महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाने की अपनी मांग को पुरजोर तरीके से रखा। 

सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की डायरेक्टर डॉ. रंजना कुमारी ने कहा, 'महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने के लिए सरकार के पास यह आखिरी मौका है। अगर यह मौका गंवाया गया तो वे इसे पूरा नहीं कर पाएंगे। हमने वर्षो से इसके लिए संघर्ष किया है और यह न्याय पाने का वक्त है और हमें न्याय चाहिए।'

महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाने की मांग को लेकर पूरे देश में महिला संगठनों की गतिविधियां तेज हो गई हैं। नेशलन एलायंस फॉर वुमेन रिजर्वेशन बिल ने व्यापक अभियान शुरू किया जिसके तहत महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाने की मांग करते हुए 5,000 से भी ज्यादा पत्र प्रधानमंत्री को भेजा गया। 

एलायंस ने सभी राजनीतिक दलों, नेताओं और मशविरा प्रदान करने वाले बुद्धिजीवियों के लिए वुमेन चार्टर जारी किया है जिसमें अन्य मांगों के साथ-साथ महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाने की मांग की गई है।

कार्यक्रम में पहुचीं प्रमुख महिला वक्ताओं में ज्वायंट वुमेन्स प्रोग्राम की डायरेक्टर और सेक्रेटरी डॉ. ज्योत्सा चटर्जी, निर्भया ज्योति ट्रस्ट की आशा देवी और अन्य कई संगठनों की सदस्य शामिल थीं।

संसद के दोनों सदनों में महज 96 महिला सदस्य हैं। लोकसभा में 543 सदस्यों में सिर्फ 65 महिला सदस्य हैं और राज्यसभा के 243 सदस्यों में सिर्फ 31 महिला सदस्य हैं।

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