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सामने आया मेडिकल घोटाले का टेप, कोडवर्ड में 'डील' पर प्रशांत भूषण ने की CJI के खिलाफ जांच की मांग

मेडिकल घोटाले के मामले में ओडिशा हाईकोर्ट के एक पूर्व जज की दलाल से बातचीत का कथित फोन टेप सामने आया है।

Updated on: 16 Jan 2018, 02:42 PM

highlights

  • सामने आया मेडिकल कॉलेज घोटाले का टेप, प्रशांत भूषण ने की CJI के खिलाफ जांच की मांग
  • कथित टेप के सामने आने के बाद भूषण ने सीजेआई के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले चारों जजों को चिट्ठी लिखी है

नई दिल्ली:

मेडिकल घोटाले के मामले में ओडिशा हाईकोर्ट के एक पूर्व जज की दलाल से बातचीत का कथित फोन टेप सामने आया है।

इस टेप में जज कथित रूप से मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट बेचने वाले दलाल से बातचीत कर रहे हैं। कथित बातचीत का यह टेप प्रशांत भूषण की शिकायत में भी दर्ज है।

इसी मामले में दो महीने पहले प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टस को इस मामले की सुनवाई से अगल किए जाने की मांग की थी और इस दौरान दोनों में तीखी झड़प हुई थी।

अब उन्होंने इस कथित टेप के सामने आने के बाद सीजेआई के खिलाफ उन चारों जजों से जांच की मांग की है, जिन्होंने कुछ दिनों पहले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हंगामा खड़ा कर दिया था।

गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर माह में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों को घूस देकर प्रभावित करने की साजिश रचने के आरोप में ओडिशा हाईकोई के पूर्व जज आइएम कुद्दूसी को गिरफ्तार किया था। इसी मामले में प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट से इनकी जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं।

मेडिकल ए‍डमिशन घोटाले का यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। गौरतलब है कि जस्ट‍िस जे चेलमेश्वर ने इस कथित घोटाले की सुनवाई के लिए एक संवैधानिक बेंच बनाने का आदेश दिया था, लेकिन नवंबर माह में चीफ जस्टिस मिश्रा ने इस आदेश को पलट दिया था।

अब सामने आई यह बातचीत विवाद को तूल देती नजर आ रही है।

बातचीत के मुताबिक कुद्दूसी ने लखनऊ के प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट और सहारनपुर के ग्लोकल मेडिकल कॉलेज के पक्ष में आदेश दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों को प्रभावित करने का प्रयास किया।

दोनों कॉलेजों पर नियमों के खिलाफ जाकर एडमिशन देने का आरोप था। 

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सितंबर में अपनी गिरफ्तारी से पहले पूर्व जस्ट‍िस कुद्दूसी को मेडिकल कॉलेजों के दलाल विश्वनाथ अग्रवाल और प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के बीपी यादव से डीलिंग करते हुए पकड़ा गया था।
सामने आई बातचीत 3 और 4 सितंबर 2017 की है, जिसमें ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व जज आई एम कुद्दुशी और कथित दलाल विश्वनाथ अग्रवाल बातचीत कर रहे हैं। इस पूरी बातचीत में कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया है। जैसे मंदिर, कैप्टन और पापा।

अग्रवाल-किस मंदिर में यह मामला है। इलाहाबाद वाले में या दिल्ली वाले में?

कुद्दुशी-नहीं यह किसी मंदिर में नहीं है लेकिन यह जाएगा।

अग्रवाल- हां हां...। तुम अब इस बारे में बात कर सकते हो, वह ऐसा करेगा। इसके बारे में मैं बात कर चुका हूं।

कुद्दुशी-उसने कहा, पक्का।

अग्रवाल-हां हां। इसमें तुम यह देखोगे....100 फीसदी। एक आदमी जो हमारा कैप्टन है, यह उसके जरिए हो रहा है तो इसमें क्या दिक्कत है। बताओ?

इसके बाद यह बातचीत अगले दिन मुलाकात के वादे के साथ खत्म हो जाती है।

कुद्दुशी-ओके, तो कल हमारी मुलाकात है।

अग्रवाल-पापा कह रहे हैं कि यह हमारा कैप्टन है। जो भी काम होगा वह इसके लिए तैयार हैं।

अग्रवाल-हां, हां, हम इसे कर लेंगे।

प्रशांत भूषण ने जो शिकायत की थी, उसमें कहा गया है प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट की तरफ से दायर की गई याचिका को इस बातचीत के एक दिन बाद यानी 4 सितंबर 2017 को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच में स्वीकार कर लिया गया।

अग्रवाल चिंता जताता है कि 'चायवाले' की सरकार भ्रष्टाचार पर सख्ती से नजर रखे हुए है। अग्रवाल कहता है, 'लगेज पहले ही देना होगा और वह मीटिंग के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि यह चायवाले की सरकार है। यह सब पर नजर रखे हुए है, यही समस्या है।'

इस दौरान दोनों घूस के बारे में खुलकर बात करते हैं।

कुद्दूसी पूछते हैं, 'कितना एडवांस मिलेगा।' इसका जवाब मिलता है, 'उन्होंने तो उस समय कहा था कि रिव्यू पेटिशन के लिए 100 लोगों को देना होगा। यदि रिव्यू की इजाजत मिलती है, तो आपको बता दिया जाएगा

दूसरी बातचीत कथित तौर पर 4 सितंबर की है, जिसमें इस कथित घोटाले का तीसरा व्यक्ति प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट का बी पी यादव शामिल होता है।
इस बातचीत में वह कथित तौर पर याचिका स्वीकार किए जाने की बात करता है।

बातचीत में एक जगह यादव अग्रवाल से अग्रवाल कहते हैं कि उन्हें जज की बातों पर भरोसा है। अग्रवाल फिर से यादव को याद दिलाते हैं कि अगर 'प्रसाद' नहीं दिया गया तो यह मसला सुलझेगा नहीं।

गौरतलब है कि सीबीआई को सूचना मिली थी कि प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज उन 46 कॉलेजों में से एक था, जिन पर सरकार ने मेडिकल स्टूडेंट्स को प्रवेश देने पर रोक लगाई थी।

इसी कॉलेज के मालिक बी पी यादव और पलाश यादव ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बाद में सीबीआई को सूचना मिली कि बी पी यादव रिटायर्ड जस्टिस कुद्दूसी के संपर्क में थे।

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