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मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामला: SC ने खारिज की SIT की मांग, दी सलाह- वकील और बेहतर करें काम

मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने के लिए जजों के नाम पर रिश्वत लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने SIT गठित करने संबंधी याचिका को ख़ारिज कर दिया है।

Updated on: 14 Nov 2017, 05:04 PM

highlights

  • मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने के लिए जजों के नाम पर रिश्वत लेने का मामला 
  • SC ने प्रशांत भूषण और जायसवाल की SIT बनाने की मांग वाली याचिका ठुकराई
  • कोर्ट ने अवमानना नोटिस नहीं किया जारी, कहा- उम्मीद है वकील बेहतर करेंगे काम

नई दिल्ली:

मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने के लिए जजों के नाम पर रिश्वत लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने SIT गठित करने संबंधी याचिका को ख़ारिज कर दिया है।

इस मामले में हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण और कामिनी जायसवाल को अवमानना का नोटिस तो जारी नहीं किया, लेकिन अपने फैसले में कोर्ट ने कहा, 'कोर्ट के वरिष्ठ वकील ने एक ही याचिका 2 बार दाखिल की।'

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं व वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और कामिनी जायसवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, 'याचिकाकर्ता ने कोर्ट को गुमराह कर मनचाही बेंच पाने की कोशिश की, यह गलत है। सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ बिना तथ्य के आरोप लगाए गए। न्यायपालिका की बदनामी की गई। यह अवमानना भरी हरकत है। फिर भी हम अवमानना का नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं। उम्मीद है कि वकील आगे बेहतर काम करेंगे'

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'किसी जज का एफआईआर में नाम नहीं है। याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान खुद इस बात को स्वीकार किया है।'

इससे पहले कल (सोमवार) सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला मंगलवार के लिए सुरक्षित रख लिया था। 

सोमवार करीब 2 घंटे चली जोरदार सुनवाई में जस्टिस आर के अग्रवाल, अरुण मिश्रा, ए एम खानविलकर की बेंच ने शांति भूषण और प्रशांत भूषण के साथ एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की दलीलें भी सुनीं थी। 

एटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा, 'सीबीआई की एफआईआर में मुख्य आरोपियों के नाम के साथ 'अज्ञात सरकारी अधिकारी' लिखा है। इसे सुप्रीम कोर्ट के जजों से जोड़ना गलत होगा।'

वहीं, प्रशांत भूषण ने 3 जजों की बेंच में मामला भेजने को गलत बताया। उन्होंने जजों से आग्रह किया कि वो सुनवाई न करें। हालांकि, आखिर में उन्होंने SIT गठन की मांग भी दोहराई थी।

इस मामले में आज (मंगलवार) सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए एसआईटी गठन की मांग को ठुकरा दिया है।  

क्या है मामला? 

दरअसल साल 2004-2010 के दौरान उड़ीसा हाई कोर्ट के जज रहे कुदुशी पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद एक निजी मेडिकल कॉलेज को एमबीबीएस कोर्स में छात्रों का प्रवेश स्वीकार करने में मदद करने का आरोप है।

जस्टिस कुदुशी को सितंबर में गिरफ्तार किया गया था और इस समय वह तिहाड़ जेल में बंद हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का आरोप है कि जस्टिस कुदुशी ने निजी मेडिकल कॉलेज का निर्देशन और उसके प्रबंधन को सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमों के पक्ष में निपटारा करने का भरोसा दिलाया था।

इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने गुरुवार को मामले की जांच न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से करवाने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी। 

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