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मराठा आरक्षण आंदोलन कई जिलों में हिंसक हुआ, कई घायल, आज मुंबई बंद

महाराष्ट्र में मराठाओं को आरक्षण देने की मांग को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन ने मंगलवार को हिंसक रूप अख्तियार कर लिया, जिसकी चपेट में आकर एक पुलिसकर्मी और चार अन्य लोग घायल हो गए।

Updated on: 25 Jul 2018, 08:35 AM

मुंबई:

महाराष्ट्र में मराठाओं को आरक्षण देने की मांग को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन ने मंगलवार को हिंसक रूप अख्तियार कर लिया, जिसकी चपेट में आकर एक पुलिसकर्मी और चार अन्य लोग घायल हो गए।

इसके अलावा चार लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की, एक दर्जन से ज्यादा वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया या जला दिया गया और एक सांसद और विधानसभा पार्षद के साथ धक्का-मुक्की की गई। कई मराठा संगठनों ने बुधवार को 'मुंबई बंद' रखने का आह्वान किया है।

मराठा सकल समाज (राज्य स्तरीय निकाय) ने समुदाय के सभी सदस्यों से बंद के दौरान शांति रखने का आग्रह किया।

मुंबई के लिए मराठा क्रांति मोर्चा के समन्वयक वीरेंद्र पवार ने बताया, 'हजारों लोग पंढरपुर उत्सव से वापस लौट रहे हैं, इसलिए मुंबई और कोंकण क्षेत्र में बुधवार को बंद रखा गया है। हम सभी लोगों से शांति और अनुशासन की अपील करते हैं।'

औरंगाबाद में शुरू हुए इस आंदोलन के बाद, उत्तरी, पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के कई जिलों में लोगों ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर जुलूस निकाला।

औरंगाबाद, उस्मानाबाद, पुणे में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया गया। वहीं कई क्रुध मराठाओं ने औरंगाबाद में दमकल के एक वाहन और एक ट्रक, हिंगोली में एक पुलिस वैन, कोल्हापुर में कम से कम पांच सरकारी बसों पर पथराव किया और इसके अलावा अन्य वाहनों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। दोपहर में परभणी में रेलसेवा को भी आधे घंटे के लिए बाधित कर दिया गया।

नासिक में मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग को भी अवरुद्ध कर दिया गया। जबकि नांदेड़, जलगांव, परभणी, कोल्हापुर, उस्मानाबाद, अहमदनगर, जालना, नंदूरबार, यवतमाल और अकोला जिले में लोगों ने प्रदर्शन किया। नासिक और हिंगोली में टायर जलाकर सड़कों को अवरुद्ध किया गया।

हिंसा को देखते हुए, राज्य परिवहन बस सेवा को औरंगाबाद, उस्मानाबाद, नांदेड़ में स्थगित कर दिया गया, जिस वजह से हजारों लोगों को यहां मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

नागपुर में शांतिपूर्ण जुलूस निकाला गया है, हालांकि मंगलवार के बंद का मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई और कुछ अन्य शहरों में असर नहीं पड़ा।

अधिकारियों ने एहतियाती कदम उठाते हुए औरंगाबाद में इंटरनेट सेवा स्थगित कर दी। नांदेड़, उस्मानाबाद और कुछ अन्य जगहों पर स्कूल और कॉलेज बंद रहे।

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औरंगाबाद के कैगांव में 28 वर्षीय काकासाहेब दत्तात्रेय शिंदे ने सोमवार शाम आरक्षण की मांग को लेकर गोदावरी नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली थी, जिसकी प्रतिक्रिया में मंगलवार को कई जिलों में बंद किया गया।

शिंदे के अंतिम संस्कार में उसके पैतृक गांव कानड से हजारों लोग इकट्ठे हुए। यहां गुस्साए मराठाओं ने शिवसेना के सांसद चंद्रकांत खरे का विरोध किया और उनके साथ धक्का-मुक्की की। वहीं कांग्रेस के विधान परिषद के सदस्य सुभाष जांबद के साथ भी धक्का-मुक्की की गई और उन्हें पुलिस सुरक्षा का सहारा लेना पड़ा।

अंतिम संस्कार की सुरक्षा के लिए कैगांव में तैनात उस्मानाबाद का एक पुलिसकर्मी श्याम कटगांवकर अचानक गिर गया और दोपहर में हृदयाघात की वजह से उसकी मौत हो गई।

इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने शिंदे के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की, लेकिन कई पार्टियों ने इसके लिए 50 लाख रुपये की मांग की।

औरंगाबाद में, जयंत सोनावने और जगन्नाथ सोनावाने ने भी क्रमश: नदी में कूद कर और जहर खाकर आत्महत्या करने का प्रयास किया, लेकिन दोनों को अस्पताल ले जाया गया और दोनों का इलाज चल रहा है।

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इसके अलावा बीड में, दो लोगों ने तहसीलदार के कार्यालय से कूद कर आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें अंतिम समय में बचा लिया।

कई मराठा समूहों ने नौ अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में मनाने के लिए महाराष्ट्र बंद की घोषणा की है।

इस बीच, सरकार की ओर से राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटील ने कहा, 'प्रदर्शन, हिंसा से आरक्षण सुनिश्चित नहीं होगा। हम चाहते हैं कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिले..हमें कई पहलुओं पर विचार करना होगा।'

बुधवार के बंद को देखते हुए, पुलिस ने देश की वाणिज्यिक राजधानी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।

कांग्रेस के अशोक चव्हाण और सचिन सावंत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के जितेंद्र अव्हाड और अन्य समेत सभी बड़े राजनीतिक दलों ने सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार से मराठा आरक्षण के मुद्दे को तत्काल सुलझाने का आग्रह किया है।

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