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मणिपुर में बीजेपी को समर्थन के लिए एनपीएफ की शर्त, सभी 4 विधायकों को बनाएं मंत्री

एनपीपी और एनपीएफ ने कहा है कि मणिपुर में बीजेपी की अगुवाई वाली गैर कांग्रेसी सरकार का समर्थन करेंगे। वहीं एनपीएफ ने अपने सभी चार विधायकों के लिए मंत्री पद की मांग की है।

Updated on: 14 Mar 2017, 06:35 PM

नई दिल्ली:

नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने कहा है कि मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली गैर कांग्रेसी सरकार का समर्थन करेंगे। वहीं एनपीएफ ने अपने सभी चार विधायकों के लिए मंत्री पद की मांग की है। जिसके बाद मणिपुर विधायक दल के नेता एन. बिरेन सिंह के सामने मुश्किलें पैदा हो सकती है।

एनपीपी प्रमुख कोनराड के. संगमा ने कहा कि मणिपुर में जल्द एक गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन किया जाएगा और उनकी पार्टी बीजेपी नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का समर्थन करेगी।

नागालैंड के मुख्यमंत्री शुरहोजेली लीजीत्सु ने कहा कि उनका दल नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) पड़ोसी राज्य मणिपुर में बीजेपी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार का समर्थन करेगा।

संगमा ने कहा कि एनपीएफ ने मणिपुर विधानसभा चुनावों में चार सीटों पर जीत हासिल की है। पार्टी ने नए चुने गए विधायकों की राज्यपाल के सामने भी पेश किया। एनपीएफ की मणिपुर इकाई के अध्यक्ष अवांगबंग न्यूमई ने मणिपुर में भाजपा अध्यक्ष को सोमवार को पत्र लिखा है, जिसमें ये मांगें शामिल हैं।

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पत्र में कहा गया है, 'एनपीएफ की मणिपुर इकाई की 13 मार्च की बैठक में पारित प्रस्ताव के अनुसार पार्टी के चारों विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना चाहिए।'

पार्टी ने एल. दइको के लिए कैबिनेट में जगह मांगी है, जो माओ सीट से निर्वाचित हुए हैं। पार्टी ने कहा है कि तामी सीट से निर्वाचित अवांगबंग न्यूमई को पहाड़ी एवं जनजातीय विकास, लघु सिंचाई एवं निर्माण विभाग के साथ संसदीय सचिव बनाया जाए।

चिंगई सीट से निर्वाचित खासिम वशुम को योजना एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग का प्रभारी संसदीय सचिव बनाया जाना चाहिए। फंगयार सीट से निर्वाचित के. लीशियो को सिंचाई एवं खाद्य नियंत्रण एवं ग्रामीण विकास का प्रभारी संसदीय सचिव बनाए जाए।

एनपीपी और एनपीएफ ने मणिपुर विधानसभा चुनाव में 4-4 सीटें जीती हैं। एनपीपी से एक मात्र लोकसभा सदस्य संगमा ने कहा, 'सभी विधायक (गैर कांग्रेसी) एकजुट हैं।'

एनपीएफ के प्रमुख शुरहोजेली ने कहा कि उन्होंने मणिपुर में भाजपा की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार में शामिल होने से पहले कोई शर्त नहीं रखी है।

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एनपीएफ और एनपीपी बीते साल मई में असम के गुवाहाटी में बने पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख साझीदार हैं। इन दलों ने इलाके को 'कांग्रेस से छुटकारा दिलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में पूर्वोत्तर भाग के समग्र विकास के अपने लक्ष्य' की घोषणा की थी।

एनपीएफ ने 2003 से डेमोक्रेटिक एलायंस ऑफ नागालैंड के नाम से गैर-कांग्रेसी राजनीतिक दलों और बीजेपी से गठबंधन किया हुआ है।

60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में कांग्रेस ने 28 और बीजेपी ने 21 सीटें जीती हैं। दोनों बहुमत से दूर हैं। अन्य दलों में नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) को चुनाव में चार-चार सीटें हासिल हुईं।

ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के हिस्से एक-एक सीटें आई, वहीं एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी।

(इनपुट IANS से भी)