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बजट सत्र के दौरान लोकसभा की कार्यवाही करीब 128 घंटे बाधित रही, सिर्फ 5 विधेयक हुए पारित

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कुल 29 दिनों में सदन की कार्यवाही सिर्फ 34 घंटे और 5 मिनट ही चल सकी।

Updated on: 06 Apr 2018, 02:29 PM

highlights

  • सदन की कार्यवाही सिर्फ 34 घंटे और 5 मिनट ही चल सकी
  • लोकसभा में मात्र पांच विधेयक पारित हो सके और पांच विधेयक पेश किए गए
  • पिछले 22 दिनों में लोकसभा अधिकतर समय स्थगित ही रही

नई दिल्ली:

संसद के बजट सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को दोनों सदन लोकसभा और राज्यसभा अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित हो गया। बजट सत्र के दौरान हंगामें के कारण लोकसभा का 127 घंटे से ज्यादा समय यूं ही बर्बाद हो गया।

कुल 29 दिनों तक चले संसद के बजट सत्र के दौरान सांसदों के पूछे गए लोकसभा में सिर्फ 0.58 प्रतिशत सवालों का ही जवाब दिया गया।

विभिन्न पार्टियों की अलग-अलग मांगों को लेकर सांसदों के प्रदर्शन ने बजट सत्र के दूसरे चरण में लगभग हर दिन कार्यवाही स्थगित होता रहा। 5 मार्च से बजट सत्र के दूसरे चरण में पिछले 22 दिनों में लोकसभा अधिकतर समय स्थगित ही रही।

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कुल 29 दिनों में सदन की कार्यवाही सिर्फ 34 घंटे और 5 मिनट ही चल सकी।

सुमित्रा महाजन ने कहा कि 'हंगामें और स्थगन' के कारण कुल 127 घंटे और 45 मिनट प्रभावित हुए। करीब 9 घंटे और 47 मिनट सरकार के तत्काल कार्यों को पूरा करने में चले गए।

इसके अलावा पूरे बजट सत्र के दौरान लोकसभा में मात्र पांच विधेयक पारित हो सके और पांच विधेयक सदन में पेश किए गए। इनमें वित्त विधेयक 2018, ग्रेच्युटी से संबंधित भुगतान (संशोधन) विधेयक 2018 शामिल हैं।

बजट सत्र के दौरान राष्ट्रपति के संबोधन पर 10 घंटे और 43 मिनट की चर्चा हुई और बजट के लिए 12 घंटे और 13 मिनट की चर्चा हुई।

सुमित्रा महाजन ने कहा, 'यह सदन सांसदों के लिए एक पवित्र जगह हैं जहां वे जनहित और जनकल्याण से संबंधित मुद्दों को रख सकते हैं। मैंने हमेशा कोशिश की थी कि जिन सांसदों ने नोटिस दिया, वे अपने मुद्दे को सदन में जरूर उठाएं।'

बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से 9 फरवरी तक चला था जिस दौरान वित्त वर्ष 2017-18 का आर्थिक सर्वे और 2018-19 का बजट पेश किया गया था।

बजट सत्र के दूसरे चरण में लोकसभा में कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड के गठन के मुद्दे को लेकर एआईएडीएमके सांसदों का और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) सांसदों का आंध्र प्रदेश के विशेष राज्य के दर्जे को लेकर प्रदर्शन मुख्य रूप से हावी रहा।

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