मोदी सरकार के खिलाफ TDP का अविश्वास प्रस्ताव अस्वीकार, सदन सोमवार तक के लिए स्थगित
इसी बीच एनडीए से अलग हुई पार्टी टीडीपी के सांसदों ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही लेकिन इस मांग को अस्वीकार कर दिया गया।
नई दिल्ली:
लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने स्पीकर सुमित्रा महाजन के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव रखा जिसे खारिज कर दिया गया।
जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, नवनिर्वाचित सदस्यों राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सरफराज आलम (अररिया), समाजवादी पार्टी के नागेंद्र पटेल (फूलपुर) और प्रवीण निषाद (गोरखपुर) ने सांसद पद की शपथ ली। इस दौरान विपक्षी खेमे के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर उनका स्वागत किया।
शपथ के बाद अलग अलग मांगों को लेकर लोकसभा में हंगामा चलता रहा। विपक्षी और टीडीपी सांसदों के रुख को देखते हुए सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
कांग्रेस, तृणमूल और वामपंथी पार्टियों सहित अन्य विपक्षी दलों ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले को लेकर नारेबाजी की। इसके आलावा टीडीपी के सांसदों ने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिए जाने और कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड पर भी हंगामा किया।
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने तीन पूर्व सांसदों, भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग और छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में शहीद हुए नौ जवानों के नाम शोक संदेश पढ़ा।
लोकसभा अध्यक्ष द्वारा शोक संदेश पढ़ने के बाद विपक्षी दलों के सांसद एक बार फिर नारेबाजी करने लगे।
बता दें कि शुक्रवार सुबह ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने एनडीए से अलग होने का फ़ैसला लिया है।
जिसके बाद वायएसआर कांग्रेस, टीएमसी, सीपी(आई)एम और कांग्रेस ने भी इस अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन किया। सरकार को घेरने और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर विपक्ष एकजुट होकर खड़ा हो गया है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया कि कांग्रेस शुरुआत से ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के प्रस्ताव का समर्थन करती रही है।
उन्होंने कहा, ‘हमलोग चाहते हैं कि आंध्र प्रदेश की जनता को न्याय मिले। अविश्वास प्रस्ताव लाने की स्थिति में सरकार की विफलता के बारे में बात करनी चाहिए। कांग्रेस ने इस बाबत काफी लोगों से संपर्क किया है।’
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कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रेणुका चौधरी ने कहा- आंध्रप्रदेश के लोगों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता जारी है, केंद्र सरकार को हमारे अधिकारों से कोई लेना-देना नहीं है। हमें एकजुट होकर लड़ना चाहिए। यह सिद्धांतों की लड़ाई है। केंद्र ने साफ कर दिया है कि वह किसी साथी के साथ नहीं है।
माकपा नेता और राज्यसभा सदस्य सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया, ‘बीजेपी सरकार के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव का माकपा समर्थन करती है। यह आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के वादे के साथ धोखा है। यह माफ करने योग्य नहीं है। यह (सरकार की) सरासर विफलता है। संसदीय जवाबदेही से छुटकारा पाने के कदम को सामने लाने की जरूरत है।’
AIMIM प्रमुख और लोकसभा सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा कि मोदी सरकार राज्य पुनर्गठन अधिनियम को लागू करने में पूरी तरह विफल रही है।
वहीं बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हन ने कहा, 'आंध्र प्रदेश सरकार और TDP जनमत के खिलाफ होने से वाकिफ है। बीजेपी इसका इस्तेमाल आंध्र प्रदेश में खुद का विकास करने के तौर पर करेगी। हमलोग राज्य में एक प्रभावी राजनीतिक ताकत के तौर पर उभरने की कोशिश करेंगे।'
बता दें कि पिछले हफ़्ते ही टीडीपी ने केंद्र सरकार से अलग होने का फ़ैसला किया था। जिसके बाद उनके दो सांसदों अशोक गजपति राजू और वाईएस चौधरी ने मंत्री पद से इस्तीफ़ा दिया था।
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