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Mann ki Baat: सीबीएसई परिणाम के लिए पीएम ने देश की बेटियों को बधाई, जवाहर लाल नेहरू को किया याद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 44 वीं बार रेडियो पर 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश की जनता से संवाद करेंगे।

Updated on: 27 May 2018, 01:51 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 44 वीं बार रेडियो पर 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश की जनता से संवाद करेंगे। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी फिट इंडिया, बच्चों के परीक्षा परिणामों और अन्य कई अहम मुद्दों पर देशवासियों से बातचीत कर सकते हैं।

सुबह 11 बजे से इस कार्यक्रम को आकाशवाणी के जरिए सुना जा सकता है। खास बात यह है कि 'मन की बात' कार्यक्रम के लिए देश भर से लोग अपने सुझाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साझा करते हैं। चुने हुए कुछ विचारों को कार्यक्रम में शामिल किया जाता है।

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हमारी ये बेटियां आज आत्मनिर्भर बनी हैं। सम्मान के साथ अपना जीवन जी रही है और अपने-अपने परिवार के लिए एक ताक़त बन गई हैय़ मैं आशा और विश्वास से भरी हमारी इन बेटियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं- पीएम मोदी।

राजस्थान के सीकर की कच्ची बस्तियों की हमारी बेटियों की कहानी अत्यंत प्रेरणादायक है। जो कभी कचरा बीनने से लेकर घर-घर मांगने को मजबूर थीं -आज वें सिलाई का काम सीख कर कपड़े सिल रही हैं। वे इसके साथ-साथ कौशल विकास का कोर्स भी कर रही हैं।

सावरकर जी के बारे में हमारे प्रिय आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था – सावरकर माने तेज़, सावरकर माने त्याग, सावरकर माने तप, सावरकर माने तत्व, सावरकर माने तर्क, सावरकर माने तारुण्य, सावरकर माने तीर, सावरकर माने तलवार- पीएम मोदी।

आमतौर पर वीर सावरकर को उनकी बहादुरी और ब्रिटिश राज के खिलाफ़ उनके संघर्ष के लिए जानते हैं लेकिन इन सबके अलावा वे एक ओज़स्वी कवि और समाज सुधारक भी थे। शस्त्र और शास्त्र दोनों के उपासक थे जिन्होंने हमेशा सद्भावना और एकता पर बल दिया- पीएम मोदी।

बहुत लम्बे समय तक 1857 की घटनाओं को केवल विद्रोह या सिपाही विद्रोह कहा जाता रहा। वीर सावरकर ने ही निर्भीक हो कर लिखा कि 1857 में जो कुछ भी हुआ वो कोई विद्रोह नहीं था बल्कि आजादी की पहली लड़ाई थी- पीएम मोदी।

इस मई महीने से वीर सावरकर की याद भी जुड़ी हुई है। 1857 में ये मई का ही महीना था, जब भारतवासियों ने अंग्रेजों को अपनी ताकत दिखाई थी। देश के कई हिस्सों में हमारे जवान और किसान अपनी बहादुरी दिखाते हुए अन्याय के विरोध में उठ खड़े हुए थे- पीएम मोदी।

आज 27 मई को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु जी की पुण्यतिथि है। मैं पंडित जी को प्रणाम करता हूं- पीएम मोदी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से योग की विरासत को आगे बढ़ाने और एक स्वस्थ, खुशहाल और सद्भावपूर्ण राष्ट्र का निर्माण करने की अपील की।

पूरा विश्व 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की भरसक तैयारियां कर रहा है- पीएम मोदी।

बारिश का मौसम आने वाला है और हम इस बार रिकॉर्ड वृक्षारोपण का लक्ष्य ले सकते हैं और केवल वृक्ष लगाना ही नहीं बल्कि उसके बड़े होने तक उसके रख-रखाव की व्यवस्था करने का भी संकल्प ले सकते हैं- पीएम मोदी।

हमनें अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलायंस के माध्यम से पूरी दुनिया को एकजुट किया तो इन सबके मूल में महात्मा गांधी के सपने को पूरा करने का एक भाव था। इस पर्यावरण दिवस पर हम सब इस बारे में सोचें कि हम अपने planet को स्वच्छ और हरित बनाने के लिए क्या कर सकते हैं?- पीएम मोदी।

हमें प्रकृति के साथ सदभाव से रहना है, प्रकृति के साथ जुड़ करके रहना है. महात्मा गाँधी ने जीवन भर इस बात की वकालत की थी, आज भारत जलवायु जस्टिस की बात करता है और भारत ने Cop21 और पैरिस समझौते में प्रमुख भूमिका निभाई- पीएम मोदी।

पिछले कुछ हफ़्तों में देश के अलग-अलग क्षेत्रों में धूल-आँधी चली, तेज़ हवाओं के साथ-साथ भारी वर्षा भी हुई, यह चीज़ें मूलतः मौसम के स्वभाव में जो बदलाव आया है, उसी का परिणाम है- पीएम मोदी।

जब भयंकर गर्मी होती है, बाढ़ होती है, बारिश थमती नहीं है, असहनीय ठंड पड़ जाती है तो हर कोई एक्सपर्ट बन करके ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन की बातें करता है लेकिन बातें करने से बात नहीं बनती है.प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना,उसकी रक्षा करना,हमारा स्वभाव होना चाहिए- पीएम मोदी।

हम प्लास्टिक पॉल्यूशन के हमारी प्रकृति, वाइल्ड लाइफ और स्वास्थ्य पर पड़ रहे नकरात्मक प्रभाव को कम करने का प्रयास करें- पीएम मोदी।

प्रधानमंत्री ने सभी देशवासियों से अपील की है कि वे इस बार की थीम बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन के भाव और महत्व को समझते हुए सुनिश्चित करें कि पॉलिथिन, लो ग्रेड प्लास्टिक का उपयोग न करें- पीएम मोदी।

आने वाली 5 जून को हमारा देश आधिकारिक तौर पर विश्व पर्यावरण दिवस उत्सव की मेजबानी करेगा। यह भारत के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इसका परिचायक भी है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में विश्व में भारत के बढ़ते नेतृत्व को भी स्वीकृति मिल रही है- पीएम मोदी।

कई खेल हमें समाज, पर्यावरण आदि के बारे में भी जागरूक करते हैं। कभी-कभी चिंता होती है कि कहीं हमारे ये खेल खो न जाएँ और सिर्फ खेल ही नहीं खो जाएगा, कहीं बचपन ही खो जाएगा और फिर कुछ कविताओं को सुनते रह जायेंगे- पीएम मोदी।

इन खेलों को खेलने की कोई उम्र तो है ही नहीं। बच्चों से ले करके दादा-दादी, नाना-नानी जब सब खेलते हैं तो यह जो जनरेशन गैप होता है, वो भी छू-मंतर हो जाता है। साथ-ही-साथ हम अपनी संस्कृति और परम्पराओं को भी जानते हैं- पीएम मोदी।

खेल सिर्फ खेल ही नहीं होते हैं, वह जीवन के मूल्यों को भी सिखाते हैं - जैसे लक्ष्य तय करना, दृढ़ता हासिल करना, टीम भावना का पैदा होना, परस्पर सहयोग की भावना को कैसे विकसित करना है- पीएम मोदी।

बड़े जो गंभीर से दिखते हैं, खेलते समय उनमें जो एक बच्चा छिपा होता है, वो बाहर आता है.पारंपरिक खेल कुछ इस तरह से बने हैं कि शारीरिक क्षमता के साथ-साथ वो हमारी सोचने की क्षमता, एकाग्रता, सजगता, स्फूर्ति को भी बढ़ावा देते हैं- पीएम मोदी।

कुछ खेलों का अपना एक सीजन होता है, जैसे पतंग उड़ाने का एक सीजन होता है। जब हम पतंग उड़ाते तो हम में जो यूनिक क्वालिटीज होती हैं, हम उन्हें आजादी के साथ बता पाते हैं। कई शर्मीले स्वभाव के बच्चे खेलते समय बहुत ही चंचल हो जाते हैं- पीएम मोदी।

हम में से शायद ही कोई हो जिसने बचपन में गिल्ली-डंडा न खेला हो। ये तो गाँव से लेकर शहरों तक में खेले जाने वाला खेल है। आंध्रप्रदेश में इसे गोटिबिल्ला या कर्राबिल्ला के नाम से जानते हैं। उड़ीसा में गुलिबाड़ी तो महाराष्ट्र में इसे वित्तिडालू कहते हैं- पीएम मोदी।

कर्नाटक में चोमल-इस्तो को चौकाबारा कहते थे, मध्यप्रदेश में अत्तू। केरल में पकीड़ाकाली तो महाराष्ट्र में चम्पल, तमिलनाडु में दायाम और थायाम, तो कहीं राजस्थान में चंगापो, न जाने कितने नाम थे लेकिन खेलने के बाद पता चलता है – अरे वाह! ये खेल तो हम भी करते थे- पीएम मोदी।

गुजरात में एक खेल है, जिसे चोमल-इस्तो कहते हैं। ये कोड़ियों या इमली के बीज या पासे के साथ और 8 x 8 के चौकोर बोर्ड के साथ खेला जाता है। यह खेल लगभग हर राज्य में खेला जाता था- पीएम मोदी।

परंपरागत खेलों में दोनों तरह के खेल हैं। आउटडोर भी हैं, इनडोर भी हैं। हमारे देश की विविधता के पीछे छिपी एकता इन खेलों में भी देखी जा सकती है- पीेएम मोदी।

यह हो सकता है कि अलग-अलग जगह ये खेल अलग-अलग नामों से जाने जाते थे, जैसे पिट्ठू कोई लागोरी, कोई सातोलिया, कोई सात पत्थर, कोई डिकोरी, तो कोई सतोदिया न जाने कितने नाम हैं एक ही खेल के- पीएम मोदी।

कुछ खेल तो ऐसे भी हैं, जो पूरा परिवार साथ में खेला करता था – पिट्ठू हो या कंचे हो, खो-खो हो, लट्टू हो या गिल्ली-डंडा हो, न जाने कितने ही अनगिनत खेल कश्मीर से कन्याकुमारी, कच्छ से कामरूप तक हर किसी के बचपन का हिस्सा हुआ करते थे- पीएम मोदी।

ये बात सही है कि जो खेल कभी गली-गली, हर बच्चे के जीवन का हिस्सा होते थे, वे आज कम होते जा रहे हैं। ये खेल ख़ासकर गर्मी की छुट्टियों का विशेष हिस्सा होते थे- पीएम मोदी।

नोएडा की छवि यादव ने पीएम से निवेदन किया कि वे आजकल की जनरेशन को कुछ पारंपरिक खेलों कि ज़्यादातर बाहर खेले जाने वाले खेल होते थे और जो आजकल खो से गए हैं उनके बारे में बताएं, जिससे उनकी भी रूचि इस तरफ़ बढ़े. आजकल बच्चे ज़्यादातर समय इंटरनेट गेम्स खेलते हुए बिताते हैं- पीएम मोदी।

‘मन की बात’ में कई बार खेल के संबंध में, खिलाडियों के संबंध में, कुछ-न-कुछ बातें आपने मेरे से सुनी ही हैं और पिछली बार तो कॉमनवेल्थ गेम्स के हमारे नायक, अपनी मन की बातें, इस कार्यक्रम के माध्यम से हमें बता रहे थे- पीएम मोदी।

मेरे लिए खुशी की बात है कि मुझे भी भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने चैलेंज किया है और मैंने भी उनकी चुनौती को स्वीकार किया है। मैं मानता हूँ कि ये बहुत अच्छी चीज है और इस तरह की चुनौती हमें फिट रखने और दूसरों को भी फिट रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा - पीएम मोदी।

# सोशल मीडिया पर लोग फिटनेस चैलेंज की वीडियोज शेयर कर रहे हैं, उसमें एक-दूसरे को टैग कर उन्हें चैलेंज कर रहे हैं। फिट इंडिया के इस अभियान से आज हर कोई जुड़ रहा है। चारों तरफ़ से एक ही गूँज सुनाई दे रही है – ‘हम फिट तो इंडिया फिट’- पीएम मोदी।

अभी दो महीने पहले जब मैंने फिट इंडिया की बात की थी तो मैंने नहीं सोचा था कि इस पर इतनी अच्छी प्रतिक्रिया आएगी। इतनी भारी संख्या में हर क्षेत्र से लोग इसके समर्थन में आगे आएंगे। जब मैं फिट इंडिया की बात करता हूँ तो मैं मानता हूँ कि जितना हम खेलेंगे, उतना ही देश खेलेगा- पीएम मोदी।

वर्षों से लोग Everest की चढ़ाई करते रहे हैं और ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने सफलतापूर्वक इसे पूरा किया है। मैं इन सभी साहसी वीरों को, ख़ासकर के बेटियों को ह्रदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

अभी पिछले दिनों ‘स्वच्छ गंगा अभियान’ के तहत बीएसएफ के एक ग्रुप ने एवेरेस्ट की चढ़ाई की,पर पूरी टीम एवेरेस्ट से ढ़ेर सारा कूड़ा अपने साथ नीचे उतार कर लायी। यह कार्य प्रशंसनीय तो है ही, साथ-ही-साथ यह स्वच्छता के प्रति, पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

अजीत बजाज और उनकी बेटी दीया एवेरेस्ट की चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय पिता-पुत्री की जोड़ी बन गयी। ऐसा ही नहीं कि केवल युवा ही एवरेस्ट की चढ़ाई कर रहे हैं। संगीता बहल ने 19 मई को एवेरेस्ट की चढ़ाई की और संगीता बहल की आयु 50 से भी अधिक है।

हाल ही में 16 वर्षीय शिवांगी पाठक, नेपाल कि ओर से एवरेस्ट फ़तह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला बनी, बेटी शिवांगी को बहुत-बहुत बधाई- पीएम मोदी।

इन युवाओं को ‘मिशन शौर्य’ के तहत चुना गया था और नाम के ही अनुरूप एवेरेस्ट फतह कर उन्होंने पूरे देश को गौरवान्वित किया है. मैं चंद्रपुर के स्कूल के लोगों को, इन मेरे नन्हे-मुन्हे साथियों को, ह्रदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

सदियों से एवेरेस्ट मानव जाति को ललकारता रहा है और बहादुर लोग इस चुनौती को स्वीकारते भी रहे हैं.16 मई को महाराष्ट्र के चंद्रपुर के आश्रम-स्कूल के 5 आदिवासी बच्चों–मनीषा धुर्वे, प्रमेश आले,उमाकान्त मडवी,कविदास कातमोड़े,विकास सोयाम–ने दुनिया की सबसे ऊँची चोटी पर चढ़ाई की- पीएम मोदी।

अगर हम मानव जाति की विकास यात्रा देखें तो पायेंगे कि किसी-न-किसी adventure की कोख में ही प्रगति पैदा हुई है.विकास adventure की गोद में ही तो जन्म लेता है.कुछ लीक से हटकर कर गुजरने का इरादा,कुछ असाधारण करने का भाव,इनसे युगों तक,कोटि-कोटि लोगों को प्रेरणा मिलती रहती है- पीएम मोदी।

इन 6 महिला कमांडरों ने विभिन्न महासागरों और कई समुद्रों में यात्रा करते हुए लगभग बाईस हज़ार nautical miles की दूरी तय की। यह विश्व में अपने आप में एक पहली घटना थी। भारत की इन बेटियों ने दुनिया को यह सन्देश दिया है कि भारत की बेटियां किसी से काम नहीं हैं- पीएम मोदी।

प्रधानमंत्री ने मन की बात का आरम्भ भारतीय नौ-सेना की 6 महिला कमांडरों द्वारा 250 से भी ज़्यादा दिन समुद्र के माध्यम से INSV तारिणी में पूरी दुनिया की सैर कर 21 मई को भारत वापस आने पर उन्हें नौ सेना और भारत का मान-सम्मान बढ़ाने के लिये बधाई देते हुए किया।

इससे पहले 43 वीं बार देश की जनता से मन की बात करते हुए पीएम ने 20 साल पहले किए गए परमाणु परीक्षण को लेकर बात की थी।

उन्होंने कहा था कि पोखरण-2 परमाणु परीक्षणों ने दुनियाभर में भारत की परमाणु क्षमता का लोहा मनवाया था। मोदी ने लोगों को बुद्ध पूर्णिमा की बधाई देते हुए याद करते हुए कहा कि यह परीक्षण बुद्ध पूर्णिमा के दिन 11 मई 1998 को किए गए थे। 

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