जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने अधिकारियों से की मुलाक़ात, सीमा सुरक्षा पर की बात
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने सीमा सुरक्षा की समीक्षा को लेकर दोपहर 11:45 बजे एक बैठक बुलाई है।
नई दिल्ली:
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से गठबंधन तोड़ने के फैसले के बाद व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद से राज्य में राजनीतिक उठापटक शुरू हो गई है।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने सीमा सुरक्षा की समीक्षा को लेकर दोपहर 11:45 बजे एक बैठक बुलाई है।
बुधवार सुबह राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की मंजूरी के बाद जम्मू एवं कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हो गया।
इससे पहले वोहरा जम्मू एवं कश्मीर के संविधान के प्रावधानों के तहत राज्यपाल शासन को लागू करने की सिफारिश की, जो राज्य में छह महीने तक राज्यपाल शासन रहने की मंजूरी देता है।
अगर एक निर्वाचित सरकार छह महीने की अवधि के भीतर सत्तारूढ़ रहने में विफल रहती है, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान है जो भारतीय संविधान के साथ मिलकर चलता है।
और पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने पर बोली बीजेपी- हम लोग कुछ कर रहे हैं
यह चौथी बार है कि वोहरा राज्य प्रशासन के मामलों को सीधे देखेंगे।
वोहरा का कार्यकाल 25 जून को खत्म हो रहा था, लेकिन कोविंद ने वोहरा के कार्यकाल की अवधि तीन महीने तक बढ़ा दी।
सूत्रों ने बताया कि वोहरा ने एक और अवधि के लिए उनके कार्यकाल का विस्तार नहीं किए जाने की इच्छा जाहिर की है। वह 25 जून को कार्यकाल के 10 साल पूरा कर लेंगे।
LIVE Update
# जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से की मुलक़ात, सुरक्षा व्यवस्था का लिया जायज़ा।
# जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द विधानसभा भंग कर नए चुनाव की रूप रेखा तैयार की जानी चाहिए। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने ख़ुद स्वीकार किया है कि सरकार बनाने के लिए ख़रीद-फरोख़्त हो सकती है, बीजेपी पर भरोसा नहीं किया जा सकता।- उमर अब्दुल्ला, पूर्व सीएम
# हम लोग कुछ कर रहे हैं? इस 'कुछ' का मतलब केवल यही हो सकता है कि वो पार्टी तोड़कर पर्याप्त संख्या जुटाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे कि सरकार बनाई जा सके। क्या उन्होंने अंजाने में राज़ से पर्दा उठा दिया है।- उमर अब्दुल्ला, पूर्व सीएम
# मुझे नहीं लगता कि राज्य में जल्द कोई सरकार बनने जा रही है। अनिश्चितता हमेशा बनी हुई है लेकिन हमलोग कुछ कर रहे हैं। जल्द ही आम लोगों को भी इसके बारे में पता चल जाएगा।- कवींद्र गुप्ता, पूर्व उप मुख्यमंत्री
गौरतलब है कि मंगलवार को बीजेपी ने अचानक ही पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया था जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने राज्यपाल एन एन वोहरा को अपना इस्तीफ़ा पत्र सौंप दिया।
अब तक ऐसा लग रहा था कि पर्याप्त संख्या नहीं होने की वजह से राज्य में सरकार बनाने को लेकर कोई पार्टी आगे नहीं आएगी लेकिन बुधवार को बीजेपी के इस बयान के बाद अचानक ही सियासी घमासान शुरू हो गया है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में कुल 87 विधानसभा सीट है। जिनमें से 28 पीडीपी, 25 बीजेपी, 15 एनसी और 12 कांग्रेस के पास है।
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