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बिहार में चढ़ा सियासी पारा, लालू ने बुलाई बैठक तो नीतीश कुमार भी करेंगे JDU कार्यकारिणी के साथ मीटिंग

आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के 12 ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी के बाद बिहार की राजनीति काफी गर्मा गई है।

Updated on: 10 Jul 2017, 12:04 AM

highlights

  • बिहार में गर्माई सियासत, लालू-नीतीश ने बुलाई विधायकों की बैठक
  • शुक्रवार को लालू यादव के करीब 12 ठिकानों पर पड़ा था सीबीआई का छापा

नई दिल्ली:

आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के 12 ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी के बाद बिहार की राजनीति काफी गर्मा गई है।

लालू यादव ने जहां सोमवार को आरजेडी विधायकों की बैठक बुलाई है वहीं राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी ठीक एक दिन बाद मंगलवार को जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है।

अब बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है कि क्या सीबीआई जांच की आंच से बिहार का महागठबंधन बचा रह पाएगा।

ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि पटना से लेकर दिल्ली तक लालू के ठिकानों पर छापेमारी के बाद सीबीआई ने लालू यादव के बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ भी बेनामी संपत्ति एक्ट के तहत केस दर्ज किया है। ऐसे में नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वो तेजस्वी यादव को पद से हटाएं या फिर उनका इस्तीफा लें।

चूंकि बिहार में नीतीश कुमार की छवि सुशासन बाबू और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त ना करने वाले मुख्यमंत्री की रही है तो ऐसे में उनके लिए तेजस्वी यादव को पद पर बनाए रखना मुश्किल होगा।

हालांकि हो सकता है नीतीश कुमार इसके लिए अभी थोड़ा और वक्त लें और सीबीआई की चार्जशीट पर इसका फैसला करें। लेकिन सीबीआई की कार्यशैली ऐसी रही है कि केस दर्ज करने से पहले ही चार्जशीट फाइल करने के लायक सबूत जुटा लेती है। अगर ऐसे में सीबीआई ने चार्जशीट फाइल कर दी तो नीतीश के लिए तेजस्वी को बचा पाना काफी मुश्किल हो जाएगा।

नीतीश कुमार खुद भी अपनी छवि को खराब करना इस मामले में नहीं चाहेंगे क्योंकि वो भ्रष्टचार के मामले में साल 2005 में मंत्री रहे जीतन राम मांझी से सिर्फ चार घंटे के भीतर मंत्री पद छीन लिया था।

वहीं साल 2011 में बीजेपी कोटे से मंत्री रहे रामाधार सिंह को भी भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद पद से बर्खास्त कर दिया था।

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बीजेपी लगातार लालू यादव पर हमलावर है और नीतीश कुमार पर तेजस्वी यादव के इस्तीफे के लिए दबाव बना रही है। ऐसे में अपनी छवि का ध्यान रखते हुए नीतीश ऐसा कोई भी फैसला ले सकते हैं।

जबकि आरजेडी चीफ लालू यादव ने छापेमारी के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कर दिया था कि तेजस्वी यादव पद से इस्तीफा नहीं देंगे। ऐसे में अगर नीतीश कुमार तेजस्वी से इस्तीफा लेते हैं तो गठबंधन टूट सकता है और बिहार सरकार भी खतरे में आ सकती है।

छापेमारी से नाराज लालू यादव ने बीजेपी पर सीबीआई का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। ऐसी भी अफवाह थी कि लालू के ठिकानों पर पड़ने वाले छापे की जानकारी नीतीश कुमार को पीएमओ से पहले ही मिल गई थी।

हालांकि नीतीश सरकार ने इन अफवाहों का खंडन किया था और कहा था कि ऐसी कोई जानकारी राज्य सरकार को पहले नहीं मिली थी।

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