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भारत ने चीन के प्रस्ताव को ठुकराया, कहा- कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा

भारत ने कश्मीर पर चीन के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि यह द्विपक्षीय मुद्दा है। चीन ने कहा था कि वह भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने का इच्छुक है।

Updated on: 14 Jul 2017, 12:15 AM

highlights

  • भारत ने कहा, कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता हमें स्वीकार नहीं
  • भारत ने कहा कि हम कश्मीर मुद्दे पर द्विपक्षीय रुपरेखा के तहत पाकिस्तान के साथ बातचीत को तैयार हैं
  • चीन ने कहा था, वह भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने के लिए 'रचनात्मक भूमिका' निभाने का इच्छुक है

नई दिल्ली:

भारत ने कश्मीर पर चीन के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि यह द्विपक्षीय मुद्दा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि भारत का रुख हमेशा से साफ है। 

बागले ने कहा, 'हम पाकिस्तान के साथ कश्मीर पर बात करने के लिए तैयार हैं, लेकिन किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता हमें स्वीकार नहीं है।'

उन्होंने कहा, 'हमारा पक्ष बिल्कुल स्पष्ट है। आप जानते ही हैं कि इस विवाद का मुख्य मुद्दा एक खास देश द्वारा सीमा-पार आतकंवाद को बढ़ावा दिया जाना है, जिसकी वजह से देश, क्षेत्र और पूरी दुनिया को खतरा है।'

बागले ने कहा, 'हम कश्मीर मुद्दे पर द्विपक्षीय रुपरेखा के तहत पाकिस्तान के साथ बातचीत को तैयार हैं।'

आपको बता दें की चीन ने बुधवार को कहा था कि वह, भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने के लिए 'रचनात्मक भूमिका' निभाने का इच्छुक है। कश्मीर के हालात ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का काफी ध्यान खींचा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था, 'नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास संघर्ष से न सिर्फ दोनों देशों की शांति व स्थिरता को, बल्कि क्षेत्र की शांति व स्थिरता को भी नुकसान होगा।'

उन्होंने कहा था, 'हम आशा करते हैं कि संबंधित पक्ष कश्मीर में शांति व स्थिरता के लिए अधिक कार्य कर सकते हैं और तनाव बढ़ाने से बच सकते हैं। चीन, भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने के लिए 'रचनात्मक भूमिका' निभाने का इच्छुक है।'

वहीं भारत ने साफ कर दिया है कि कश्मीर सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दा है। गोपाल बागले ने कहा, 'मूल मुद्दा ये है कि सीमा पार से आतंकवाद भारत पर थोपा गया है जिसमें जम्मू-कश्मीर भी शामिल है।'

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