4 साल बाद NDA में नीतीश की वापसी, मोदी कैबिनेट में मिल सकती है जगह
जनता दल यूनाइटेड (जेडी-यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में शामिल होने का फैसला कर लिया गया है। इसके साथ ही करीब चार साल बाद जेडी-यू एनडीए में औपचारिक रूप से शामिल हो गई है।
highlights
- JDU की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 'बागी' शरद यादव के खिलाफ नहीं होगी कार्रवाई
- करीब 20 महीने बाद एनडीए में फिर से शामिल हुई नीतीश की जेडी-यू
नई दिल्ली:
जनता दल यूनाइटेड (जेडी-यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में शामिल होने का फैसला कर लिया गया है। इसके साथ ही करीब चार साल बाद जेडी-यू एनडीए में औपचारिक रूप से शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है।
इससे पहले 17 साल तक जेडी-यू एनडीए में शामिल रही थी लेकिन 2013 में नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद वह एनडीए से अलग हो गई थी।
जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के महागठबंधन की सरकार से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी। इसके तत्काल बाद बीजेपी के प्रेसिडेंट अमित शाह ने नीतीश कुमार को एनडीए में शामिल होने के साथ ही सह-संयोजक की जिम्मेदारी लेने की अपील की थी।
माना जा रहा है कि एनडीए में शामिल होने के साथ पीएम नरेंद्र मोदी के अगले कैबिनेट विस्तार में जेडी-यू को भी जगह मिल सकती है।
पार्टी की इस बैठक में बागी नेता शरद यादव के खिलाफ भी कार्रवाई किए जाने की संभावना थी। हालांकि पार्टी ने उन्हें इस बार चेतावनी देकर छोड़ दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने इन संभावनाओं को खारिज करते हुए साफ कर दिया कि यादव के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं होगी।
त्यागी ने कहा 'राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शरद यादव पर कोई फैसला नहीं होगा।'
के सी त्यागी ने कहा है कि राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में उन हालातों पर चर्चा होगी, जिसकी वजह से पार्टी को महागठबंधन से अलग होना पड़ा। जेडी-यू करीब 20 महीने पुराने महागठबंधन से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मदद से सरकार बना चुकी है।
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त्यागी ने कहा कि अगर शरद यादव 27 अगस्त को होने वाली राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी )की रैली में लालू के साथ दिखाई देंगे फिर कार्रवाई होगी। पार्टी ने एक तरह से यादव को आखिरी मौका दिया है।
शरद यादव लगातार जेडी-यू के महागठबंधन से अलग होने के फैसले को लेकर नीतीश कुमार को निशाना बना रहे हैं। इसी वजह से पार्टी उन्हें राज्यसभा में नेता के पद से हटा चुकी है। इसके बाद यादव के गुट ने दिल्ली में सांझी विरासत बचाओ रैली करते हुए विपक्षी दलों को एकजुट करने की भी कोशिश की थी।
इतना ही नहीं यादव के गुट ने खुद के असली जेडी-यू होने का दावा किया था। इसके बाद पार्टी कार्रवाई करते हुए 21 नेताओं को प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था। जिन नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है, उसमें नीतीश कुमार के खिलाफ बागी रुख अपना चुके शरद यादव के करीबी रमई राम भी शामिल हैं।
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इससे पहले पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेने के कारण पार्टी के बागी सांसद अली अनवर अंसारी को संसदीय दल से बाहर कर दिया था।
नीतीश के कार्यकारिणी के मुकाबले शरद यादव ने 'जन अदालत' लगाने की घोषणा की है।
शरद के इस कार्यक्रम को शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। शरद गुट के समर्थकों ने पटना की सड़कों पर पोस्टर लगाए हैं, जिसमें लिखा है 'जन अदालत का फैसला-महागठबंधन जारी है।'
शरद गुट की ओर से आयोजित 'जन अदालत' के बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने कहा कि यह पार्टी का आधिकारिक कार्यक्रम नहीं है। बिहार जेडी-यू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि 'जन अदालत' से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह 'जन अदालत' तो आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद के आवास पर बुलाई जानी चाहिए थी।
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