कर्नाटक में बीजेपी का दाव फेल लेकिन पार्टी को वापसी की उम्मीद
कर्नाटक में राजनीतिक उठापटक में मात खाने के बाद बी बीजेपी को विश्वास है कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन वाली सरकार में अंतर्निहित मतभेदों की वजह से राज्य में उसकी वापसी हो सकती है।
नई दिल्ली:
कर्नाटक में राजनीतिक उठापटक में मात खाने के बाद भी बीजेपी को विश्वास है कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन वाली सरकार में अंतर्निहित मतभेदों की वजह से राज्य में उसकी वापसी हो सकती है।
बहुमत नहीं जुटा पाने की वजह से सिर्फ ढाई दिन में ही बीजेपी के येदियुरप्पा को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
कर्टनाक में बीजेपी का दाव फेल होने को लेकर पार्टी के एक नेता ने कहा, 'हम अभी भले लड़ाई हार गए हों लेकिन साल 2019 में होने वाले निर्णायक युद्ध में जीत हमें ही मिलेगी।'
बीजेपी के कई नेताओं का मानना है कि कर्नाटक में सरकार बनाने की कोशिश दो कारकों से प्रेरित था। पहले यह मानना कि जनादेश बीजेपी के पक्ष में मिला है और दूसरा कि राज्य में सरकार बनने के बाद दक्षिण के दूसरे राज्यों में भी पार्टी के राजनीतिक विस्तार की संभावना बढ़ती।
लिगायतों के जरिए दक्षिण में बीजेपी होगी मजबूत?
गौरतलब है कि कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में बीजेपी की स्थिति कमजोर ही है। ऐसे में बीजेपी नेताओं का मानना है कि लिंगायत समुदाय का पार्टी के पीछे लामबंद होना उसे कर्नाटक में मजबूत ताकत बनाए रखेगा। हालांकि नेताओं का यह भी मानना है कि बहुमत साबित नहीं कर पाना बीजेपी के लिए बड़ा झटका था।
येदियुरप्पा की सरकार गिरने के बाद विरोधियों ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने विधायकों को तोड़ने की पूरी कोशिश की लेकिन वो नहीं टूटे। हालांकि बीजेपी ने इस आरोप का खंडन किया था। कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के नेतृत्व में बनने वाली सरकार में कुमार स्वामी कर्नाटक के नए सीएम होंगे। नई सरकार के गठन को लेकर बीजेपी को भरोसा है कि गठबंधन में प्रतिद्वंदिता की वजह से पार्टी की वापसी होगी।
सफल नहीं होगा गठबंधन
बीजेपी नेताओं का मानना है कि जेडीएस और कांग्रेस राज्य में एक-दूसरे के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्विंदी हैं और उनके समर्थकों में प्रतिस्पर्धी हितों को लेकर टकराव होंगे जिससे यह गठबंधन सफल नहीं होगा। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक दोनों दलों के शीर्ष नेताओं में भी एक राय नहीं है जिससे गठबंधन में विरोधाभास पैदा होगा।
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सूत्रों के मुताबिक बीजेपी का मानना है कि चुनाव के दौरान दो चिर प्रतिद्वंदी रहे जेडीएस और कांग्रेस के हाथ मिला लेने से भी लिंगायत समेत दूसरे कई समुदाय नाराज होकर बीजेपी के पीछे लामबंद होंगे जिससे बीजेपी को सीधा फायदा होगा।
224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में 222 सीटों पर चुनाव हुए थे। अभी कांग्रेस और जेडीएस के सीटों को मिलाकर गठबंधन के पास 117 सीटें हैं जो बहुमत से 5 ज्यादा है। दो सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं।
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