कश्मीर में युवाओं को पत्थर थमाने वाले अलगाववादियों के बच्चे जी रहे हैं ऐशो-आराम की जिंदगी
यह जानकर हैरानी होगी की युवाओं को अप्रत्यक्ष रूप से पत्थरबाजी के रास्ते पर धकेलने वाले सैयद अली शाह गिलानी जैसे अलगाववादी नेता के बेटे एशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं।
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी, स्कूलों में आगजनी, हिंसक प्रदर्शनों के पीछे आम तौर पर अलगाववादियों का ही हाथ माना जाता है। अलगाववादियों की शह पर युवाओं के हाथों में किताबों की जगह पत्थर देखा जाता है। लेकिन यह जानकर हैरानी होगी की युवाओं को अप्रत्यक्ष रूप से पत्थरबाजी के रास्ते पर धकेलने वाले सैयद अली शाह गिलानी जैसे अलगाववादी नेता के बेटे एशो-आराम की जिंदगी जी रहे हैं।
हुर्रियत कांफ्रेंस अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नईम गिलानी पाकिस्तान के रावलपिंडी में डॉक्टर हैं। वहीं दूसरा बेटा भारत में एक प्राइवेट एयरलाइंस में क्रू मेंबर है। गिलानी की बेटी जेद्दा में शिक्षक है और पति वहीं इंजीनियर है।
गिलानी गुट के मोहम्मद अशरफ सेहराई ने भी अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाई। मोहम्मद अशरफ का बेटा आबिद सेहराई दुबई में एक कंप्यूटर इंजीनियर है। ऐसे और भी कई नाम हैं, जिनके बच्चे पढ़-लिख कर बाहर कहीं अच्छी व सुकून जिंदगी जी रहे हैं।
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वहीं गिलानी के करीबियों में शुमार गुलाम मोहम्मद सुमजी का बेटा नई दिल्ली में मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद अपना भविष्य संवार रहा है।
हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी धड़े के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक की बहन राबिया फारूक लंदन में डॉक्टर हैं।
मास मूवमेंट की प्रमुख फरीदा बहनजी का बेटा रोमा मकबूल डॉक्टर है और वह दक्षिण अफ्रिका में रह रहा है।
जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक लिबरेशन पार्टी की अध्यक्ष हाशिम कुरैशी का बेटा इकबाल और बिलाल लंदन में रह रहा है। वहीं गिलानी गुट के प्रवक्ता अयाज़ अकबर का बेटा सरवर याकूब पुणे में मैनजमेंट की पढ़ाई कर रहा है।
गिलानी गुट के ही अब्दुल अजीज डार का बेटा उमर डार और आदिल डार पाकिस्तान में पढ़ाई कर रहा है।
अलगाववादी संगठन दुख्तरान-ए-मिल्लत की प्रमुख एवं कश्मीर की अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी के अधिकतर रिश्तेदार पाकिस्तान, सउदी अरब और इंग्लैंड में अच्छी जिंदगी जी रहे हैं। अंद्राबी की बहन मरियम अंद्राबी परिवार के साथ मलेशिया में रह रही हैं।
आसिया अंद्राबी, फारूक, गिलानी के अलावा ऐसे और भी कई नाम हैं, जिनके बच्चे पढ़-लिख कर बाहर कहीं अच्छी जिंदगी जी रहे हैं।
आपको बता दें की पिछले दिनों सेना द्वारा संचालित स्कूलों पर निशाना साधते हुए गिलानी ने कहा था, 'हम लोग अपनी अगली पीढ़ी को खो रहे हैं। हमें इन संस्थानों में अपने युवा को नहीं भेजना चाहिए। हमें यह देखना होगा कि ये संस्थान हमारे बच्चों को किस तरह की शिक्षा दे रहे हैं।'
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राष्ट्रीय मुख्य धारा से कश्मीरी छात्रों को अलग करने के प्रयासों के तहत हुर्रियत कट्टरपंथियों ने दावा किया कि सेना द्वारा संचालित स्कूल 'आपत्तिजनक गतिविधियों' में संलिप्त हैं।
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(इनपुट ANI से)
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