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इशरत जहां एनकाउंटर केस : CBI कोर्ट ने वंजारा और अमीन की रिहाई याचिका खारिज की

गुजरात की एक विशेष सीबीआई अदालत ने मंगलवार को इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में पूर्व पुलिस अधिकारी डी जी वंजारा और एन के अमीन की रिहाई याचिका को खारिज कर दिया।

Updated on: 07 Aug 2018, 02:04 PM

अहमदाबाद:

गुजरात की एक विशेष सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) अदालत ने मंगलवार को इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में पूर्व पुलिस अधिकारी डी जी वंजारा और एन के अमीन की रिहाई याचिका को खारिज कर दिया। विशेष जज जे के पांड्या ने वंजारा और अमीन के आवेदन को खारिज किया। अदालत ने पिछले महीने ही दोनों आरोपियों के बहस पर सुनवाई पूरी की थी। जिसमें सीबीआई और इशरत जहां की मां ने वंजारा की रिहाई याचिका को चुनौती दी थी।

दोनों पूर्व पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट द्वारा इसी साल फरवरी महीने में दोषमुक्त साबित हो चुके एक अन्य सह आरोपी और राज्य के पूर्व प्रभारी पुलिस महानिदेशक पी पी पांडे के साथ समानता की मांग की थी।

रिटार्यड पुलिस अधीक्षक (एसपी) अमीन ने रिहाई याचिका में कहा था कि एनकाउंटर सही था और सीबीआई द्वारा गवाहों के जो साझ्य पेश किए गए थे वे सही नहीं थे।

इशरत जहां की मां ने इन दोनों अधिकारियों की रिहाई याचिका को चुनौती देते हुए अदालत को कहा था कि उसकी बेटी की हत्या उच्च श्रेणी के पुलिस अधिकारियों और अन्य सत्ता में बैठे ताकतवर लोगों के बीच साजिश के तहत हुई थी। इशरत की मां ने कहा था कि एनकाउंटर में वंजारा ने मुख्य भूमिका निभाई थी।

इससे पहले जून महीने में विशेष अदालत में डी जी वंजारा ने कहा था कि इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ के मामले में सीबीआई गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह को गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन किस्मत से ऐसा नहीं हुआ।

क्या है मामला

बता दें कि जून 2004 में मुंबई निवासी इशरत जहां (19), उसका मित्र जावेद उर्फ प्राणेश और पाकिस्तानी मूल के जीशान जौहर और अमजद अली राणा को पूर्व पुलिस महीनिरीक्षक (आईजी) वंजारा की टीम ने अहमदाबाद के बाहरी इलाके में मार गिराया था।

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इशरत जहां और उसके मित्रों को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के मिशन पर आने वाले आतंकवादी करार दिया गया था। हालांकि बाद में सीबीआई ने अपनी जांच में निष्कर्ष निकाला था कि यह फर्जी मुठभेड़ थी।