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दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय सोलर अलायंस में सौर ऊर्जा के अधिक उपयोग और रोजगार सृजन पर जोर

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के स्थापना सम्मेलन में रविवार को नई दिल्ली में सदस्य देशों ने अपने कुल ऊर्जा खपत में सौर ऊर्जा के हिस्से को बढ़ाने का वचन दिया।

Updated on: 12 Mar 2018, 12:10 AM

highlights

  • आईएसए सौर संसाधन संपन्न देशों का एक गठबंधन है
  • सदस्य देशों ने अपने कुल ऊर्जा खपत में सौर ऊर्जा के हिस्से को बढ़ाने का दिया वचन
  • भारत ने पिछले चार वर्षो में अपनी सौर ऊर्जा क्षमता को लगभग आठ गुना बढ़ा दिया है

नई दिल्ली:

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के स्थापना सम्मेलन में रविवार को नई दिल्ली में सदस्य देशों ने अपने कुल ऊर्जा खपत में सौर ऊर्जा के हिस्से को बढ़ाने का वचन दिया।

सौर ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान करने और गरीब समुदायों को सशक्त बनाने की भारी क्षमता को महसूस किया जा सकता है।

सम्मेलन के अंत में तीन पन्नों का 'दिल्ली सौर एजेंडा' जारी किया गया, जिसमें जिक्र किया गया कि आईएसए निरंतर विकास के लिए 2030 संयुक्त राष्ट्र एजेंडे की अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है।

इस प्रतिबद्धता में सभी रूपों और आयामों में गरीबी का उन्मूलन शामिल है। साथ ही हमारी दुनिया को बदलने के लिए प्रौद्योगिकी का विकास व अनुप्रयोग जलवायु-संवेदनशील है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने पेरिस जलवायु समझौते में इस गठबंधन की शुरुआत की थी।

आईएसए सौर संसाधन संपन्न देशों का एक गठबंधन है जो अपनी विशेष ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और दृष्टिकोण के माध्यम से अंतराल की पहचान कर उससे निपटने में सहयोग प्रदान करने के लिए मंच उपलब्ध कराएगा।

आईएसए कर्क और मकर रेखा के ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्र में आने वाले सभी 121 देशों के लिए खुला है। इनमें से 61 देशों ने रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और 32 देशों ने ढांचागत समझौते को मंजूरी दे दी है।

एजेंडे में जोर दिया गया है कि 'हमारे प्रयास में वृद्धि दर बढ़ाने, कौशल बढ़ाने, रोजगार पैदा करने, उद्यमिता उन्मुक्त करने, नवाचार बढ़ाने और आय बढ़ाकर स्थिरता हासिल करने की क्षमता है।'

आईएसए सदस्य देश 'अपने राष्ट्रीय ऊर्जा खपत में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए प्रयासों में बढ़ोत्तरी पर' भी सहमत हुए हैं।

यह कदम जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौतियों से निपटने व अपने अपने देशों में नीतिगत पहलों के समर्थन और उनके कार्यान्वयन व सभी प्रासंगिक हितधारकों की भागीदारी के जरिए एक प्रभावी समाधान के रूप में उठाया गया है।

एजेंडे में विकासशील देशों के लाभ के लिए सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों और प्रतिष्ठित वित्तीय संस्थानों के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी भागीदारी स्थापित करने समेत सस्ती वित्त व्यवस्था, उपयुक्त तक पहुंच, स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण तक पहुंच की बात कही गई है।

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सदस्य देश संयुक्त अनुसंधान एवं विकास को सुगम बनाने, गरीब और दूरदराज समुदायों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऑफ-ग्रिड सौर अनुप्रयोगों पर विचार करने और सौर प्रौद्योगिकियों की निगरानी व रखरखाव में स्थानीय समुदायों में जागरूकता और कौशल को बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।

इससे पहले दिन में सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 10 बिंदु प्रस्तुत किए।

मोदी ने कहा कि प्रोद्यौगिकी, आर्थिक स्रोत, भंडारण प्रोद्यौगिकी, कर्मचारी निर्माण और नवोन्मेष के विकास और मौजूदगी के लिए पूरा पारितंत्र होना चाहिए।

उन्होंने सौर परियोजनाओं के लिए रियायती वित्तपोषण को कम जोखिम पर करने का आवाह्न किया। उन्होंने कहा कि शीघ्र समाधान के लिए नियामक पहलुओं और मानकों का विकास होना चाहिए।

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मोदी के साथ सम्मेलन की सहअध्यक्षता करने वाले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 2022 तक वैश्विक सौर ऊर्जा पीढ़ी के लिए अतिरिक्त 70 करोड़ यूरो के निवेश की घोषणा की, ताकि जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम और जलवायु परिवर्तन से सामना करने में मदद की जा सके।

राष्ट्रपति ट्रंप का नाम लिए बगैर मैक्रों ने दिल्ली सम्मेलन में कहा कि कुछ ने जलवायु समझौता छोड़ दिया जबकि अन्य बने हुए हैं क्योंकि वह अपने बच्चों और उनके बच्चों की भलाई चाहते हैं।

आईएसए के तहत, लक्ष्य को पाने के लिए अलायंस देशों में उत्कृष्टता के 100 केंद्रों पर 10 हजार तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

उन्होंने भारत के 20 गीगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लिए उसकी सौर प्रतिबद्धताओं की सराहना की। भारत की सौर ऊर्जा क्षमता दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। देश ने पिछले चार वर्षो में अपनी सौर ऊर्जा क्षमता को लगभग आठ गुना बढ़ा दिया है।

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