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अंधेपन को रोकने के लिए भारत को चाहिए और ऑप्टिमेट्रिस्ट

छोटे शहरों और गांवों में नेत्र संबंधी (ऑप्टिमेट्रिस्ट) विशेषज्ञों की कमी के कारण बढ़ रही है अंधेपन की समस्या।

Updated on: 16 Sep 2017, 09:38 AM

नई दिल्ली:

भारत में अंधेपन से संबंधी रोगों से पीड़ित 10 करोड़ से अधिक लोग चश्मे की एक जोड़ी की पहुंच से दूर हैं, जिसका कारण छोटे शहरों और गांवों में नेत्र संबंधी (ऑप्टिमेट्रिस्ट) विशेषज्ञों की कमी है। 

इंडिया विजन इंस्टीट्यूट (आईवीआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनोल डेनियल ने बताया कि हालांकि चश्मे की एक जोड़ी की लागत 250 रुपये से भी कम है, लेकिन इस तक पहुंच की कमी ने भारत में रोके जा सकने वाले अंधेपन की समस्या को बढ़ा दिया है। 

उन्होंने कहा, 'हमें 1,30000 लोगों की जरूरत है, लेकिन हमारे पास केवल 45,000 हैं। इनमें ऑप्टिमेट्रिस्ट, नेत्र सहायक और प्राथमिक नेत्र चिकित्सा से संबंधी लोग शामिल हैं।'

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उन्होंने कहा, 'भारत में इस तरह के विशेषज्ञों की बड़ी संख्या में जरूरत है, जैसे ही आप 40-45 की उम्र में पहुंचते हैं, तो आपको चश्मे की जरूरत महसूस होने लगती है। भारत में पांच से सात प्रतिशत बच्चे दृष्टि की समस्या से ग्रस्त हैं और उन्हें अध्ययन करने के लिए चश्मे की जरूरत पड़ती है। बुजुर्गो के लोगों के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है, खासकर गांवों में। हाथों से काम करने वालों के लिए अधिक परेशानी का कारण है।'

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुमान के अनुसार, रोके जा सकने वाले अंधेपन के कारण हर साल भारत को एक लाख करोड़ से अधिक की उत्पादकता की कमी का सामना करना पड़ता है। 

अनुसंधान बताता है कि चश्मे की कीमत वास्तव में बहुत कम है, लेकिन जागरूकता और एक नेत्र विशेषज्ञ या ऐसे केंद्रों की कमी एक मुद्दा है, जिसका हल भारत को निकालना है।

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