सौर ऊर्जा से चलने वाली देश की पहली ट्रेन, जानिए क्या है खास बातें
शुक्रवार से देश में सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन की शुरूआत हो गई। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सफदरजंग रेलवे स्टेशन से पहली सोलर पैनल वाली डीईएमयू (डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन को हरी झंडी दी। यह ट्रेन शुक्रवार को हजरत निजामुद्दीन स्टेशन तक चली।
highlights
- सफदरजंग रेलवे स्टेशन से पहली सोलर पैनल वाली डीईएमयू ट्रेन को हरी झंडी दी गई
- हर साल इस ट्रेन से 21 हजार लीटर डीजल के बचत होने का अनुमान
- ट्रेन के हर कोच पर 300 वाट के 16-16 सोलर पैनल लगे हैं
नई दिल्ली:
शुक्रवार से देश में सौर ऊर्जा से चलने वाली ट्रेन की शुरूआत हो गई। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सफदरजंग रेलवे स्टेशन से पहली सोलर पैनल वाली डीईएमयू (डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट) ट्रेन को हरी झंडी दी। यह ट्रेन शुक्रवार को हजरत निजामुद्दीन स्टेशन तक चली।
हर साल इस ट्रेन से 21 हजार लीटर डीजल के बचत होने का अनुमान है, जिससे रेलवे को प्रति वर्ष 12 लाख रुपये की बचत होगी.
इससे पहले राजस्थान में भी सोलर पैनल वाली लोकल ट्रेन का ट्रायल हो चुका है, लेकिन उसमें सौर ऊर्जा को संचित करने की सुविधा नहीं है। कल शुरू हुई ट्रेन में सौर ऊर्जा को संचित भी किया जा सकेगा, जिससे रात के समय में लाइट, पंखे, इंफॉर्मेशन डिस्पले सभी सोलर ऊर्जा से ही चलेगी।
चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्टरी में इस छह कोच वाले रैक को बनाया गया है और दिल्ली के शकूरबस्ती वर्कशॉप में सौर पैनलों को लगाया गया है। इंडियन रेलवेज ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अल्टरनेटिव फ्यूल ने ऐसा इन्वर्टर तैयार किया है, जिससे रात के समय में इसका उपयोग हो सकेगा।
डीईएमयू की खास बातें:
- दिन भर में पैनल से 20 सोलर यूनिट की बिजली बनेगी, जिससे बैटरियों में 120 एंपीयर आवर की क्षमता संचित होगी।
- ट्रेन के हर कोच के हिसाब से साल में 9 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
- ट्रेन के हर कोच पर 300 वाट के 16-16 सोलर पैनल लगे हैं, जिसकी कुल क्षमता 4.5 किलोवाट है। इस बिजली से तकरीबन 28 पंखे और 20 ट्यूबलाइट जल सकेंगी।
- सोलर पावर के द्वारा कुल संचित बिजली से ट्रेन का काम दो दिन तक चल सकेगा। सबसे खास सुविधा यह है कि किसी भी आपात स्थिति में लोड अपने आप डीजल एनर्जी पर शिफ्ट हो जाएगा।
- इस ट्रेन की कुल लागत 13.54 करोड़ रुपये है, जबकि हर सोलर पैनल पर 9 लाख रुपये का खर्च आया है।
- ट्रेन के हर कोच में 69 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। अगले 6 महीने में शकूर बस्ती वर्कशॉप में ऐसे 24 और कोच तैयार किए जाएंगे।
रेलवे बोर्ड के सदस्य रवींद्र गुप्ता के अनुसार सोलर पावर पहले शहर के लोकल ट्रेनों और फिर लंबी दूरी के ट्रेनों में भी लगाए जाएंगे। पूरी योजना लागू होने के बाद रेलवे को हर साल करीब 700 करोड़ रुपये की बचत होगी।
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