logo-image

डोकलाम को पीछे छोड़ भारत-चीन सीमा पर शांति बनाए रखने पर हुए सहमत

डोकलाम विवाद को पीछ छोड़ते हुए भारत और चीन इस बात पर सहमत हुए हैं कि जबतक दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सुलझ नहीं जाता है तब तक वहां पर शांति बनाए रखेंगे। दोनों पक्षों ने अपसी विश्वास बढ़ाने के कदमों पर भी चर्चा की।

Updated on: 22 Dec 2017, 08:28 PM

नई दिल्ली:

डोकलाम विवाद को पीछ छोड़ते हुए भारत और चीन इस बात पर सहमत हुए हैं कि जबतक दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सुलझ नहीं जाता है तब तक वहां पर शांति बनाए रखेंगे। दोनों पक्षों ने अपसी विश्वास बढ़ाने के कदमों पर भी चर्चा की।

सीमा विवाद को सुलझाने के लिये दोनों देशों के बीच हुई विशेष प्रतिनिधियों की बैठक के बाद भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल और सीमा मुद्दे पर चीन के विशेष दूत यांग जेइची ने कहा कि बातचीत 'सकारात्मक' रही।

डोकलाम को लेकर 73 दिनों तक दोनों देशों के बीच तनाव था और उसके बाद सीमा विवाद पर दोनों देशों के बीच पहली बार बैठक हुई। बैठक में ज़ोर दिया गया कि विवाद का हल एक दूसरे को स्वाकार्य हो और एक दूसरे की चिंताओं, संवेदनाओं और आकाक्षाओं के अनुरूप हो।

हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय ने ये नहीं बताया कि इस बैठक में डोकलाम पर चर्चा हुई या नहीं। लेकिन बीजिंग में चीन के विदेश विभाग ने गोलमोल जवाब दिया।

और पढ़ें: राहुल गांधी का हमला, कहा बीजेपी की स्थापना ही झूठ की नींव पर हुई

चीनी विदेश विभाग ने कहा, 'ये प्रणाली सिर्फ सिर्फ सीमा मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय वार्ता के लिये नहीं है, बल्कि एस महत्वपूर्ण मंच भी है जिसमें भारत और चीन रणनीतिक संवाद भी करते हैं।'

16 जून को भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर तनाव हो गया था। भारत ने चीनी सैनिकों को वहीं पर सड़क बनाने से रोक दिया था जबकि उस इलाके पर भूटान भी अपना दावा करता है। भारत की चिंता थी कि यहां सड़क बनाने से उत्तर-पूर्व को भारत के बाकी हिस्से से जोड़ने वाली पट्टी को खतरा हो सकता है।

73 दिनों तक चले इस तनाव को बातचीत के ज़रिये 28 अगस्त को खत्म किया गया।

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'दोनों पक्षों ने सीमा के मसले पर अंतिम हल निकलने तक सीमाई ईलाकों में शांति बनाए रखने पर सहमत हुए हैं। इस संबंध में विशेष प्रतिनिधियों ने आपसी विश्वास बढ़ाने के लिये उपायों पर चर्चा की।'

विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत सकारात्मक रही और दोनों देशों के बीच संबंधों को ज्यादा मज़बूत करने पर चर्चा की गई।

और पढ़ें: रुपाणी को दोबारा गुजरात की कमान, नितिन पटेल बनेंगे डिप्टी सीएम