IIT खड़गपुर ने प्रोफेसर राजीव कुमार का इस्तीफा स्वीकार किया, सुप्रीम कोर्ट ने दी थी 'गुमनाम हीरो' की उपाधि
आईआईटी खड़गपुर ने अपने प्रोफेसर राजीव कुमार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, जिसके अनिवार्य रिटायरमेंट की सजा को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने पद छोड़ने से पहले निरस्त कर दिया था।
highlights
- IIT खड़गपुर ने राजीव कुमार को दुर्व्यवहार के आरोप में मई 2011 में निलंबित कर दिया था
- कुमार ने संस्थान के अंदर परीक्षा के दौरान होने वाले धांधलियों को उजागर किया था
- सुप्रीम कोर्ट ने IIT- JEE में सुधार के उनके प्रयासों के लिए 'गुमनाम हीरो' की उपाधि दी थी
नई दिल्ली:
आईआईटी खड़गपुर ने अपने प्रोफेसर राजीव कुमार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, जिसके अनिवार्य रिटायरमेंट की सजा को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने पद छोड़ने से पहले निरस्त कर दिया था।
आईआईटी खड़गपुर ने राजीव कुमार को दुर्व्यवहार के आरोप में मई 2011 में निलंबित कर दिया था। उसी साल सुप्रीम कोर्ट ने आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में सुधार के उनके प्रयासों के लिए 'गुमनाम हीरो' की उपाधि दी थी। राजीव कुमार के प्रयासों के बाद ही जेईई एडवांस्ड जैसा परीक्षा का नया रूप बना।
आईआईटी खड़गपुर ने कुमार को दोषी साबित करने के लिए एक जांच पैनल बैठायी थी। उसके बाद कुमार को 'संस्थान की छवि को खराब करने' में आरोपी बताया गया। कुमार ने संस्थान के अंदर लैपटॉप खरीदने से लेकर परीक्षा के दौरान होने वाले धांधलियों को उजागर किया था।
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साल 2014 में आईआईटी ने कुमार को अनिवार्य रूप में रिटायर करने का निर्णय लिया। इसके बाद कुमार ने पैनल पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद कोर्ट ने आईआईटी के निर्णय पर रोक लगा दी। कुमार ने राष्ट्रपति से भी आईआईटी के आदेश को खत्म करने का निवेदन किया था।
जब साल 2014 में उन्होंने इस्तीफा दिया, तो संस्थान ने मामले को न्यायालय के अधीन बताते हुए इस्तीफा मंजूर करने से इंकार कर दिया।
एक अधिकारिक नोट के मुताबिक, 'पू्र्व राष्ट्रपति और आईआईटी खड़गपुर के विजिटर ने प्रोफेसर राजीव कुमार के अनिवार्य रिटायर करने की सजा को रद्द कर दिया। जिसके बाद संस्थान ने राष्ट्रपति के आदेश पर मानव संसाधन विभाग के द्वारा जारी ऑर्डर के बाद कुमार के तकनीकी इस्तीफे को स्वीकार कर लिया है।'
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हाई कोर्ट के रोक (स्टे) आदेश के बाद, कुमार ने 2015 में दो साल के लिए कानूनी अधिकार लेकर जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय ज्वाईन कर लिया। हालांकि इस साल जून में आईआईटी खड़गपुर में फिर से ज्वाईन कराने के लिए उन्हें जेएनयू से मुक्त कर दिया गया।
प्रोफेसर राजीव कुमार ने जेएनयू के कुलपति से अपील किया था कि उन्हें फिर से नियुक्त किया जाय, क्योंकि उनकी सजा खत्म हो चुकी है और इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया है।
इस मामल में जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार ने किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
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