साधुओं के लिए पासपोर्ट बनवाने की राह आसान, पैरेंट्स की जगह लिख सकते है गुरू का नाम
पासपोर्ट बनाने के लिए अब आपकों जन्म प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं पडेगी।
नई दिल्ली:
पासपोर्ट बनाने के लिए अब आपकों जन्म प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं पडेगी। सरकार ने पासपोर्ट बनाने के नियम बदल दिए हैं, साथ ही ट्वीटर के जरिये पासपोर्ट सेवा की भी शुरुआत की गई। बता दें कि पहले 1989 से पहले जन्मे लोगों को जन्म प्रमाणपत्र दिखाना अनिवार्य होता था।
केंद्रीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने ट्ववीट करके लोगों से इस बदलाव का फीडबैक भी मांगा है। स्वराज ने कहा,' हमने पासपोर्ट के नियमों में जरूरी बदलाव किये है। मैं चाहती हूं कि आप सभी इसका फीडबैक भी दें।'
We have made significant changes in the Passport rules. I would like to have your feedback pl. #PassportRules
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) December 23, 2016
नए नियमों के मुताबिक अगर आपके पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है तो जन्म प्रमाण पत्र की जगह वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेन्स,मैट्रिक सर्टिफिकेट,पैन कार्ड सहित सर्विस रिकॉर्ड से भी काम चला सकेंगे।
नए बदलाव में सरकार ने साधु संयासियों की भी सुध ली है जो अपने पैरेंट की जगह अपने गुरु के नाम का इस्तेमाल करना चाहते है। ऐसे साधु सन्यासी अपने गुरु का नाम पैरंट्स की जगह इस्तेमाल कर सकते है बशर्ते उनके पास गुरु के नाम वाला कोई भी अन्य सरकारी प्रमाण पत्र हो। साथ ही नए नियमो में ट्रांसजेंडर और सरोगेट चाइल्ड के लिए भी उपयुक्त स्थान दिया गया है।
पासपोर्ट सेवा को कैशलेस करने के लिए तत्काल के केस में स्वाइप मशीन का इस्तेमाल भी संभव होगा। और किसी भी तरह के परेशानी और शिकायत सुझाव के लिए लोग ट्वीटर पासपोर्ट सेवा की भी मदद ले सकते है जिसे mea ने लांच किया है।
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