गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा वैज्ञानिक एंव औद्योगिकी अनुसंधान परिषद- गिरीश साहनी
देश के सबसे बड़े अनुसंधान व विकास संगठन 'वैज्ञानिक एंव औद्योगिकी अनुसंधान परिषद' (सीएसआईआर) ने वित्तीय संकट की बात कही है।
बेंगलुरु:
देश के सबसे बड़े अनुसंधान व विकास संगठन 'वैज्ञानिक एंव औद्योगिकी अनुसंधान परिषद' (सीएसआईआर) ने वित्तीय संकट की बात कही है। सीआईएसआर ने एक वित्तीय आपात स्थिति की घोषणा की है। इस संगठन के तहत 37 प्रयोगशालाएं संचालित होती हैं।
सीएसआईआर के महानिदेशक गिरीश साहनी ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष (2017-18) के 4,063 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन में से वेतन, पेंशन, पूंजी व दूसरी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के बाद प्रयोगशाला आवंटन व दूसरे कई नए अनुसंधान परियोजनाओं के लिए सिर्फ 202 करोड़ रुपये बचते हैं। इसमें से कुल 158 करोड़ रुपये पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं।
उन्होंने एक पत्र में सभी प्रयोगशाला निदेशकों को इसकी सूचना देते हुए कहा है, 'यदि हमें आगे और राशि जारी करनी पड़े तो हमारे पास नए अनुसंधान परियोजनाओं के समर्थन के लिए कोई धन नहीं बचेगा।' उन्होंने लिखा है, 'यह कड़वा सत्य है।'
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साहनी ने कहा कि इस कठिन स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रयोगशालाओं द्वारा अपनी बाह्य आय से वित्तीय जरूरतों को पूरा किया जाना चाहिए।
चिट्ठी में लिखा है कि कर्मचारियों व पेंशनधारियों के लिए 7वें वेतन आयोग के क्रियान्वयन से यह मुश्किल पैदा हो रही है और सीएसआईआर के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं दिखाई देता है।
साहनी ने प्रयोगशालाओं से प्रौद्योगिकियों की स्थिति पर एक व्यापार विकास रिपोर्ट बनाने को कहा है, जिससे उद्योगों/हितधारकों के लिए तुरंत लाइसेंस प्राप्त किया जा सके।
उन्होंने कहा, 'प्रत्येक प्रयोगशाला को अपनी मौजूदा प्रौद्योगिकी टोकरी (पुरानी और नई) साथ ही कम से कम एक गेम चेंजर प्रौद्योगिकी प्रदान करना चाहिए।'
उन्होंने कहा, 'कृपया ध्यान दें कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण गतिविधि है और किसी भी कीमत पर इसकी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।'
परिषद के व्यापार विकास समूह को भी सीएसआईआर की ज्ञान संपदा के वाणिज्यिक उपयोग हेतु जून 2017 तक एक रुपरेखा तैयार करने के लिए के कहा गया है।
इसके अलावा यह फैसला किया गया है कि सीएसआईआर प्रयोगशालाओं की सभी नई परियोजनाओं में हितधारकों की भागीदारी होनी चाहिए जो सभी अस्थायी श्रमशक्ति, उपभोग्य वस्तुओं और फुटकर खर्च का वहन करेंगे और पूंजीगत लागत में कम से कम 30 फीसदी हिस्सेदारी देंगे।
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साहनी ने उम्मीद जताई है कि सीएसआईआर न केवल इन मौजूदा वित्तीय बाधाओं को पार करेगा, बल्कि अपनी प्रयोगशालाओं के लिए एक मजबूत व्यापार मॉडल के साथ उभरकर सामने आएगा।
साहनी ने कहा कि हाल में हैदराबाद में हुई निदेशकों की बैठक में यह संकल्प लिया गया कि सीएसआईआर मौजूदा वित्त वर्ष में अपने बजट का 25 फीसदी आय खुद अर्जित करेगा और ऐसे कदम उठाएगा जिससे वह 2020 तक अपने कुल बजट का 50 फीसदी हासिल करने में सक्षम हो।
उन्होंने कहा कि यह कदम सीएसआईएर को क्रियात्मक और वित्तीय स्वायत्तता देगा और संगठन के आत्म सम्मान को बढ़ाएगा।
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