'रसगुल्ले' की लड़ाई में ओडिशा पर भारी पड़ा पश्चिम बंगाल, जानें क्यों खास है ये 'रसगुल्ला' जिसपर भिड़े दो राज्य
पड़ोसी ओडिशा से तीखी लड़ाई को खत्म करते हुए पश्चिम बंगाल ने मंगलवार को जियोग्राफिकल इंडीकेशन (जीआई) टैग जीत लिया।
नई दिल्ली:
ओडिशा और बंगाल के बीच काफी समय से रसगुल्ले के विवाद पर पूर्ण विराम लग गया है।
पड़ोसी ओडिशा से लड़ाई को खत्म करते हुए पश्चिम बंगाल ने मंगलवार को जियोग्राफिकल इंडीकेशन (जीआई) टैग जीत लिया, जो यह बताता है कि स्पंजी, मीठे सीरे से भरी यह मिठाई मूल रूप से इस क्षेत्र की है।
इस घोषणा से जीआई रजिस्ट्री ने दो राज्यों के बीच करीब ढाई साल चली लंबी लड़ाई को खत्म कर दिया।
रसगुल्ला पश्चिम बंगाल की मशहूर मिठाई है लेकिन, इसका उत्पाद कहां से हुआ इस पर ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बीच लंबे समय से लड़ाई चल रही थी।
लंदन में मौजूद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे एक अच्छी खबर बताया।
ममता ने ट्वीट किया, 'हम सभी के लिए अच्छी खबर। हमें खुशी व गर्व है कि बंगाल को जीआई दर्जा रसगुल्ला के लिए मिला है।'
Sweet news for us all. We are very happy and proud that #Bengal has been granted GI ( Geographical Indication) status for Rosogolla
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 14, 2017
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ओडिशा का दावा
इस विवाद की शुरुआत 2015 में हुई, जब ओडिशा ने दावा किया कि रसगुल्ला 600 साल पहले उनके राज्य में बनाया गया था और यह पहली बार पुरी में 12वीं सदी में भगवान जगन्नाथ के मंदिर में चढ़ाया गया था।
ओडिशा सरकार ने रसगुल्ला के मूल रूप से ओडिशा के होने के संदर्भ में साक्ष्य को देखने के लिए तीन समितियां बनाईं।
ओडिशा सरकार के जवाब में बंगाल सरकार ने रसगुल्ला के लिए जीआई टैग के लिए आवेदन किया। उनके पास इस मिठाई का बंगाल का साबित करने के लिए पर्याप्त दस्तावेजी साक्ष्य थे।
बंगाल का दावा
बंगाल ने दृढ़ता से कहा कि रसगुल्ला मिठाई बनाने का कार्य प्रसिद्ध मिठाई निर्माता नवीन चंद्र दास ने 1868 में किया था। नोबीन चंद्र दास कोलकाता के बागबाजार इलाके में मिठाई की दुकान चलते थे। दास ने ही रसगुल्ले का अविष्कार किया था।
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