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तनाव के बीच विदेश सचिव गोखले चीन पहुंचे, मसूद अजहर, मालदीव जैसे कई मुद्दों पर की चर्चा

विभिन्न मुद्दों को लेकर भारत और चीन में चल रही तनातनी के बीच भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने अचानक चीन की यात्रा की है। वहां पर उन्होंने वरिष्ठ चीनी अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय मुद्दों के साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।

Updated on: 24 Feb 2018, 08:24 PM

नई दिल्ली:

विभिन्न मुद्दों को लेकर भारत और चीन में चल रही तनातनी के बीच भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने अचानक चीन की यात्रा की है। वहां पर उन्होंने वरिष्ठ चीनी अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय मुद्दों के साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।

गोखले की यात्रा को छुपाकर रखा गया था और भारतीय दूतावास की तरफ से किये गए ट्वीट के बाद ही इस यात्रा की जानकारी सार्वजनिक हो पाई।

चीन स्थित भारतीय दूतावास की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, 'बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने हाल ही द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्षा की, जिसमें उच्चस्तरीय प्रतिबद्धताएं शामिल थी... साथ ही आने वाले समय में द्विपक्षीय बातचीत को लेकर भी चर्चा की गई।'

गोखले विदेश सचिव नियुक्त किये जाने के पहले चीन में राजदूत के पद पर थे। उन्होंने वहां पर चीन के उप विदेश मंत्री कॉंग शुआनयू और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की।

डोकलाम विवाद के बाद वांग और यांग ने भारत की यात्रा की थी और अपनी उस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय. मुद्दों पर चर्चा की थी।

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बयान में कहा गया है, 'दोनों पक्षों ने बातचीत के विभिन्न प्रणालियों को जल्द शुरू करने पर जोर दिया ताकि विभिन्न मुदों पर भारत-चीन के बीच सहयोग को बढ़ाया जा सके।'

दोनों ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और चीन में मेलजोल बढ़ाया जाए और विवादित मुद्दों को आपसी सम्मान और एक दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता, हित और आकांक्षाओं के आधार पर हल किया जाना चाहिये।

बयान में कहा गया है, 'दोनों पक्षों ने इस बाता को माना कि रिश्तों में प्रगति का कारण दोनों देशों में स्थायित्व है। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर एक-दूसरे के नज़रिये को सुना।'

विदेश सचिव की चीन यात्रा के संबंध में चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित की।

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चीनी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि वांग ने गोखले से कहा कि दोनों पक्षों को आपसी रणनीतिक विश्वास को बढ़ाना चाहिये और साझा विकास में तेजी लाया जाए जो दोनों देशों के नेतृत्व के राजनीतिक सहमति के अनुरूप हो।'

बयान में कहा है, 'हम उम्मीद करते हैं कि भारत संवेदनशील मुद्दों को विवेकपूर्ण तरीके से संभालेगा और भारत-चीन संबंधों में और मजबूती लाएगा।'

चीन के इस बयान को वर्तमान संवेदनशील मुद्दों से जोड़कर देखा जा रहा है जब मालदीव में राजनीतिक संकट के बीच दोनों देशों के बीच एक तनाव जैसी स्थिति बनी हुई है।

गोखले ने कहा है कि भारत चीन के साथ संबंधों को तरजीह देता है और उसके साथ मिलकर काम करना चाहता है जो दोनों देशों के नतृत्व की सहमति के अनुसार हो। साथ ही रणनीति संवाद में मतबूती, दोनों देशों की प्रमुख चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता और एक सकारात्मक माहौल बने ताकि दोनों देशों के रिश्तों में मजबूती आए।

हालांकि डोकलाम विवाद को सुलझा लिया गया था लेकिन उसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव है। इसके अलावा और भी कई मुद्दे हैं जिनको लेकर दोनों देशों के बीच विवाद उठ जाते हैं। जिसमें सीपीईसी, मसूद अज़हर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की भारत की कोशिशों को चीन की तरफ से यूएन में रोकने की कोशिश और भारत की न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में शामिल होने पर चीन का रोड़ा जैसे मुद्दे शामिल हैं।

इसके अलावा मालदीव में चल रहे राजनीतिक संकट भी दोनों देशों में तनाव पैदा कर रहा है। इस मुलाकात में इन सभी मुद्दों पर चर्चा की गई।

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