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आर्टिकल 35-ए पर बोले फारूक अब्दुल्ला, 'जब तक मैं कब्र में नहीं चला जाता, तब तक लड़ाई लड़ता रहूंगा'

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह ने अनुच्छेद 35-ए को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा।

Updated on: 11 Aug 2018, 09:29 PM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 35-ए को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि वह अपनी आखिरी सांस तक अनुच्छेद 35-ए के लिए लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 35-ए के बहाने जम्मू-कश्मीर के लोगों को परेशान करना चाहती है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया। इस विषय पर न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा, 'हम अनुच्छेद 35-ए में कोई बदलाव नहीं होने देंगे। केंद्र हमें सिर्फ परेशान करना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ दो बार कह चुकी है कि केंद्र सरकार 35-ए में बदलाव नहीं कर सकती है। जब तक मैं अपनी कब्र में नहीं चला जाता, तब तक लड़ाई लड़ता रहूंगा।'

आर.एस. पुरा सीट से बीजेपी विधायक, गगन भगत ने अनुच्छेद 35-ए को समाप्त करने की मांग करने के लिए अपनी पार्टी की खिंचाई की, और इस अनुच्छेद के समर्थन में संघर्ष के लिए कश्मीर घाटी के लोगों की प्रशंसा की।

भगत ने कहा, 'केंद्र की बीजेपी सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस मुद्दे को उठा रही है। यदि यह अनुच्छेद समाप्त हुआ तो जम्मू के लोग सबसे ज्यादा पीड़ित होंगे। जम्मू में कोई नौकरी नहीं रह जाएगी। यहां के लोग बेरोजगार हो जाएंगे।'

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इस पर जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, 'यह जानकर अच्छा लगा कि बीजेपी के दो विधायकों राजेश गुप्ता और उनके बाद डॉ गगन ने अनुच्छेद 35-ए के समर्थन में अपनी आवाज उठाई है।'

गौरतलब है कि जम्मू- कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 35-ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 27 अगस्त को सुनवाई होगी। कोर्ट में तीन न्यायाधीशों की पीठ में एक न्यायाधीश की अनुपस्थिति की वजह से सुनवाई टल गई थी। इस सुनवाई में यह तय किया जाएगा कि क्या इस मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपा जाए या नहीं।

राष्ट्रपति द्वारा 1954 में उद्घोषित अनुच्छेद 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर विधानमंडल को प्रदेश के स्थायी निवासी और उनके विशेषाधिकार को परिभाषित करने की शक्ति प्राप्त है। इस बीच इसकी संवैधानिक वैधता को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है, जिसपर छह अगस्त को सुनवाई होनी थी।  यह अनुच्छेद 14 मई 1954 से जम्मू-कश्मीर में लागू है। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के आदेश पर यह अनुच्छेद पारित हुआ था।