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MDH के पांचवी पास सीईओ ने कमाए 21 करोड़ रुपये!

साल 2016 में मसालों और सॉस समेत इस तरह के प्रोडक्ट्स की बिक्री 16 फीसदी बढ़ी है।

Updated on: 17 Jan 2017, 09:45 AM

highlights

  • एमडीएच के 60 से ज्यादा प्रोडक्ट्स हैं
  • सैलरी का 90 फीसदी हिस्सा चैरिटी देते हैं धरमपाल

मुंबई:

भारत के जाने-माने प्रोडक्ट एमडीएच (MDH) की सीईओ महाशय धरमपाल गुलाटी ने सैलरी के तौर पर पिछले वित्तीय वर्ष में 21 करोड़ रुपये की कमाई की है। इस कंपनी की 80 फीसदी हिस्सेदारी धरमपाल गुलाटी के पास है, जिन्हें आपने कई विज्ञापनों और मैगजीन कवर में पगड़ी पहने देखा होगा।

एफएमसीजी (FMCG) सेक्टर पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, धरमपाल गुलाटी की कंपनी 'महाशियां दी हट्टी' (MDH) ने वित्तीय वर्ष में करीब 213 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। उनकी कमाई गोदरेज कंज्यूमर, हिंदुस्तान यूनिलिवर और आईटीसी लिमिटेड के सीईओ की कमाई से ज्यादा है।

धरमपाल गुलाटी को दादाजी या महाशयजी के नाम से भी लोग जानते हैं। उनके पिता पाकिस्तान के सियालकोट में एक छोटी सी दुकान चलाते थे। देश के विभाजन के बाद वे परिवार समेत दिल्ली के करोल बाग में रहने लगे। पांचवी पास धरमपाल गुलाटी ने करीब 60 साल पहले एमडीएट ज्वॉइन किया था। वे अब तक भारत में 15 फैक्ट्रियां खोल चुके हैं, जो करीब एक हजार डीलर्स को सप्लाई करती हैं। एमडीएच के दिल्ली और लंदन में भी ऑफिस हैं। उनकी मसाला कंपनी 100 देशों में एक्सपोर्ट करती है।

गुलाटी का कहना है कि वे उपभोक्ताओं को कम से कम दाम में अच्छी गुणवत्ता का प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराना चाहते हैं। यही नहीं, वे अपनी सैलरी का 90 फीसदी हिस्सा चैरिटी में देते हैं। गुलाटी के इस करोड़ो के साम्राज्य में मसाला कंपनी, 20 स्कूल और एक हॉस्पिटल भी शामिल है। उनके बेटे और बेटियां भी कंपनी का काम संभालते हैं।

साल 2016 में मसालों और सॉस समेत इस तरह के प्रोडक्ट्स की बिक्री 16 फीसदी बढ़ी है। वहीं, मसाला बाज़ार में डीएस फूड्स, रामदेव समेत कई घरेलू कंपनियां भारत में आगे हैं। सॉस जैसे इंटरनेशनल प्रोडक्ट्स में नेस्ले और हिंदुस्तान यूनिलिवर आगे चल रही हैं। एमडीएच के 60 से ज्यादा प्रोडक्ट्स हैं। इनमें डेग्गी मिर्च, चाट और चना मसाला सबसे ज्यादा बिकने वाला उत्पाद है।

एमडीएच के वाइस प्रेसिडेंट राजिंदर कुमार ने बताया कि वे प्रतिद्ंद्वियों को कीमतों से मात दे रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अन्य कंपनियां प्राइजिंग स्ट्रैटजी को अपनाने की कोशिश करती हैं, लेकिन हम कीमतें कम रखते हैं। इस वजह से फायदा ज्यादा होता है।'