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FRDI बिल पर वित्त मंत्रालय की सफाई, कहा- नहीं डूबेगा बैंक में रखा पैसा

इस बिल के तहत अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है तो जमाकर्ता को पैसा दें या न दें, दें तो कितना दें से संबंधित सभी तरह के अधिकार बैंक के पास होगा।

Updated on: 08 Dec 2017, 11:47 AM

नई दिल्ली:

वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा विधेयक, 2017 (FRDI बिल) को लेकर वित्त मंत्रालय ने सफाई दी है।

मंत्रालय ने कहा है कि FRDI बिल जमाकर्ताओं के हित में है और इसमें उनके लिए वर्तमान कानून की तुलना में अच्छे प्रावधान किए गए है। इस विधयक पर संसद की संयुक्त समिति विचार कर रही है।

दरअसल ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार शीत कालीन सत्र के दौरान FRDI बिल पेश कर नया क़ानून बनाने की तैयारी कर रही है। इस बिल के तहत अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है तो जमाकर्ता को पैसा दें या न दें, दें तो कितना दें से संबंधित सभी तरह के अधिकार बैंक के पास होगा।

यानी कि बैंक में जमाकर्ताओं के पैसे की कोई गारंटी नहीं है। इतना ही नहीं संसद द्वारा क़ानून बन जाने के बाद जामाकर्ता अपने पैसे डूबने की शिकायत अदालत में भी नहीं कर सकता है।

मुंबई की शिल्पा श्री ने FRDI बिल के ख़िलाफ़ अपने हस्ताक्षर के साथ एक ऑनलाइन अभियान शुरू किया है। जिसमें अब हज़ारों लोग शामिल हो रहे हैं।

वित्त मंत्री अरुण जेटली के नाम उनके द्वारा की गई अपील पर 24 घंटे में 40 हजार से अधिक हस्ताक्षर किए गए। उनकी मांग है कि इस विधेयक में बेल-इन प्रावधान न हो। उनको आशंका है कि बैंकों में जमा उनकी गाढ़ी कमाई को संकट के समय उसे उबारने के आतंरिक उपाय (बेल-इन) में लगा दिया जाएगा।

याचिका में कहा गया है कि इसके तहत दिवालिया होने की स्थिति में आ गए किसी बैंक को बचाने के लिए सरकारी व्यक्ति को जमाकर्ताओं का धन लगाने का अधिकार होगा और वह यह भी कह सकता है कि बैंक की आपके प्रति (जमाकर्ता के प्रति) कोई देनदारी नहीं बनती।

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इस विधेयक में बेल-इन यानी वित्तीय संस्थाओं को उबारने के आंतरिक साधनों संबंधी प्रावधान को लेकर मीडिया में कुछ आशंकाएं प्रकट की गई थीं।

इसके बाद मंत्रालय ने यह बयान जारी किया है। मंत्रालय ने कहा है कि इस विधेयक से जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा संबंधी मौजूदा उपायों में कोई बदलाव नहीं होगा, बल्कि इस विधेयक में उनके हितों के पारदर्शितापूर्ण तरीके से संरक्षण के कुछ अतिरिक्त प्रावधान किए गए है।

बयान में कहा गया है कि FRDI विधेयक ऐसे दूसरे कानूनों के मुकाबले निवेशकों के ज्यादा अनुकूल है। इसमें बेल-इन की सांविधिक व्यवस्था का प्रावधान है। इसके लिए इसमें ऋणदाताओं या जमाकर्ताओं की अनुमति की जरूरत नहीं होगी। यह विधेयक लोकसभा में गत 10 अगस्त 2017 को पेश किया गया था। इस पर संयुक्त समिति विचार कर रही है।

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मंत्रालय ने कहा है कि इस विधेयक में बैंकों को वित्तीय सहायता देने या समाधान में मदद करने के सरकार के अधिकार को किसी भी तरह कम नहीं किया गया है।

वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि सरकारी बैंकों के संबंध में सरकार की निहित गारंटी पर इस विधेयक से कोई प्रभाव नहीं पडे़गा।

मंत्रालय का यह भी कहना है कि भारत के बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में पूंजी है और उनका नियमन और पर्यवेक्षण बहुत सावधानी से किया जाता है जिससे उनके अंदर सुरक्षा और मजबूती सुनिश्चित की जा सके तथा समग्र बैंकिंग प्रणाली भी सुरक्षित हो सके।

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