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तीन तलाक पर मिस्र के मौलवियों का समर्थन कहा- पैगंबर के जमाने से जारी है प्रथा

सीनियर मौलवियों ने अच्छे से तैयार किए गए अपने बयान में कहा, 'तलाक और बच्चों के अधिकारों का पालन करने के लिए पुरुष को मौखिक तलाक को तुरंत लिख लेना चाहिए।'

Updated on: 21 Feb 2017, 10:53 AM

highlights

  • मिस्र के मदरसे ने कहा तलाक पैगंबर के जमाने से ही सर्वमान्य रहा है
  • अल-अजहर के ऐलान को इस्लामी दुनिया में फतवा माना जाता है

नई दिल्ली:

तीन तलाक और महिलाओं के हक के लिए जारी बहस के बीच मिस्त्र के अल-अजहर मदरसे के नए ऐलान ने इस मसले में नया मोड़ ला दिया है। मदरसे का कहना है, 'तलाक पैगंबर के जमाने से ही सर्वमान्य रहा है।'

इसके साथ ही मिस्त्र की राजधानी कैरो में सीनियर मौलवियों की काउंसिल ने सर्वसम्मति से कहा कि सभी जरूरी बातों को ध्यान में रखकर तलाक दिए जाने की प्रथा हमेशा से सर्वमान्य रही है। उन्होंने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल-फतह एल-सीसी के इस प्रथा पर पाबंदी लगाने के सुझाव को सिरे से खारिज कर दिया है।

मिस्र के मदरसे के ऐलान से भारत में तीन तलाक पर जारी विवाद पर असर पड़ सकता है।

तीन तलाक को लेकर मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों से 30 मार्च तक अटॉर्नी जनरल के पास जवाब दाखिल करने को कहा है।

अल-अजहर की इस राय से धार्मिक मुस्लिमों को सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को कानूनी चुनौती देने और इसकी पैरवी करने में मदद मिल सकती है। साथ ही वह इस बात को बड़ी ही मजबूती के साथ शरिया के मुताबिक बता सकते हैं। अल-अजहर के ऐलान को इस्लामी दुनिया में फतवा माना जाता है।

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खबरों की मानें तो अल-अजहर के मौलवियों ने अपने बयान में कहा, 'तलाक और बच्चों के अधिकारों का पालन करने के लिए पुरुष को मौखिक तलाक को तुरंत लिख लेना चाहिए।' इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने तीन तलाक मुद्दे का समर्थन करते हुए और इस मामले पर सोच विचार करने के लिए महिला इकाई के गठन का फैसला किया था।

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