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चुनाव आयोग ने 255 राजनीतिक दलों समेत ग्राहम स्टेंस के हत्यारे को टिकट देने वाली कट्टर हिंदुत्व पार्टी की मान्यता रद्द की

साल 2016 में चुनाव आयोग ने करीब 255 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द कर दी है।

Updated on: 11 Jan 2017, 11:57 PM

highlights

  • केएमएम ने यूपी विधानसभा चुनाव में दारा सिंह को दिया था टिकट
  • लंबे सत्यापन की प्रक्रिया के बाद राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द की गई

नई दिल्ली:

चुनाव आयोग ने ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस के हत्यारे को टिकट देने वाली कट्टर हिंदुत्व पार्टी की मान्यता रद्द कर दी है।

साल 2016 में चुनाव आयोग (ईसीआई) ने करीब 255 राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द कर दी है। इनमें 44 दल उन 5 राज्यों में है जहां विधानसभा चुनाव होने हैं। 4 फरवरी से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं।

उत्तर प्रदेश में जहां 32 दलों की मान्यता रद्द करनी पड़ी, वहीं उत्तराखंड की दो पार्टियों की मान्यता रद्द की गई है। उत्तराखंड में 15 फरवरी को चुनाव होने हैं। पंजाब और गोवा में 4 फरवरी को चुनाव होने हैं जहां क्रमश: छह और चार पार्टियों की मान्यता रद्दी की गई है।

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यूपी में इन दलों की सूची में कट्टर हिंदुत्व क्रांतिकारी मनुवादी मोर्चा (केएमएम) है। केएमएम आरक्षण विरोधी पार्टी है, जो साल 2000 में बनी थी। पार्टी मनु स्मृति के निर्धारित सिद्धांतों के आधार पर भारत को चलाने की मांग करती है।

साल 2002 में यूपी विधानसभा चुनाव में इस पार्टी ने दारा सिंह को टिकट दिया था, जिसने आस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके दो बेटों को जलाकर मार डाला था।

इसी पार्टी के दूसरे उम्मीदवार आर के भारद्वाज ने 2002 के यूपी चुनाव में दादरी से चुनाव लड़ा और 531 वोट जुटाने में कामयाब रहे। दादरी में इससे कुछ समय पहले ही मोहम्मद अखलाक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।

केएमएम का दावा है कि संघ परिवार के दूरी बना लेने के बाद उसकी लोकप्रियता में गिरावट आई है। पंजाब में चुनाव आयोग में दो दलों की मान्यता रद्द की है। सरब हिंद शिरोमणी अकाली दल (एसएडी) को आयोग ने राजनीतिक दलों की सूची से हटा दिया है। गुरुचरण तोहरा सिंह 1999 में शिरोमणि अकाली दल से अलग होते हुए इस पार्टी का गठन किया था। हालांकि बाद में 2003 में इसका अकालियों के साथ विलय हो गया।

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चुनाव आयोग ने 'डेमोक्रेटिक बहुजन समाज' मोर्चा को भी दलों की सूची से हटा दिया है। बहुजन समाज पार्टी से टूटकर अलग हुई यह पार्टी 2004 में फिर से बसपा में मिल गई थी।

वहीं, गोवा में कांग्रेस के दो अलग गुटों के नाम को सूची से हटा दिया गया है। ये दोनों पार्टी गोवा पीपुल्स कांग्रेस और गोवा राजीव कांग्रेस हैं। गोवा पीपुल्स कांग्रेस जहां 2000 में कांग्रेस में शामिल हो गई वहीं 1999 में शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में गोवा राजीव कांग्रेस का विलय कर दिया गया था।

भारतीय चुनाव आयोग ने इन पार्टियों को लंबे सत्यापन प्रक्रिया के बाद विपंजीकृत किया है। इसके अलावा सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) को इन पार्टियों की फंडिंग करने वालों की छानबीन करने के लिए भी कहा गया। चुनाव आयोग द्वारा सीबीडीटी को दिए गए लेटर (जो 21 दिसंबर 2016) में लिखा था कि राज्य की पार्टियों को विपंजीकृत करने के बाद ये पार्टियां साल 2005 से 2015 के बीच पार्लियामेंट और स्टेट एसेंबली इलेक्शन में कोई भी कैंडिडेट खड़ा नहीं कर सकी।

हर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी इन पार्टियों के कार्यालय पहुंचे। वे ये पता लगाने के लिए गए कि वे अभी तक अपने ऑफिस में काम कर रहे हैं या नहीं। इनमें से कोई भी पार्टी चुनाव आयोग को दिए गए पते पर काम नहीं कर रही थी। इस दौरान सीबीडीटी को आशंका हुई कि ये पार्टियां मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक जरिए की तरह काम कर रही हैं। पीपुल्स अधिनियम, 1951 के मुताबिक, 20 हजार से कम डोनेशन होने पर पार्टी को चुनाव आयोग को जानकारी देना जरूरी नहीं है।