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धूमल ही नहीं उनके करीबियों से भी हिमाचल की नई जयराम सरकार ने किया किनारा

हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता माने जाने वाले प्रेम कुमार धूमल को चुनाव हारने के बाद सीएम पद से भी संतोष करना पड़ा।

Updated on: 27 Dec 2017, 11:39 PM

highlights

  • धूमल के साथ ही उनके करीबियों से भी हिमाचल की नई सरकार ने किया किनारा
  • धूमल के कई करीबी विधायकों को नहीं मिला मंत्रीपद

नई दिल्ली:

हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता माने जाने वाले प्रेम कुमार धूमल को चुनाव हारने के बाद सीएम पद से भी संतोष करना पड़ा।

पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में जयराम ठाकुर ने सीएम पद की शपथ थी। धूमल के कम होते प्रभाव का असर साफ तौर पर नई सरकार पर भी अब दिख रहा है।

धूमल को तो नई कैबिनेट में जगह नहीं ही मिली लेकिन उनके करीबी माने जाने वाले नेताओं को भी मंत्री पद नहीं दिया गया।

धूमल के समर्थक इस बाद से बेहद निराश हैं कि शिमला क्षेत्र से किसी नेता को नई कैबिनेट में जगह नहीं मिली।

धूमल के समर्थकों का मानना है कि शिमला क्षेत्र में धूमल के नेतृत्व में साल 1998 में बीजेपी ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई थी और बरगटा ने उन्हें दो बार पद दिलवाया।शायद यही वजह है कि जैसे ही धूमल चुनाव हारे और सीएम पद से चूके वैसे ही बरगटा को छोड़ दिया गया।

हिमाचल के नए सीएम जयराम ने बरगटा की जगह उस क्षेत्र से पार्टी का ब्राह्ण चेहरा सुरेश भारद्वाज को तरजीह दी।

धूमल के एक करीबी ने बताया की पूर्व सीएम ने बरगटा के समर्थकों से कहा था कि वो उनकी भावना को पार्टी हाई कमांड तक पहुंचाएंगे।

इस बीच 2 बार से चंबा के भाटियाट से विधायक ब्रिक्रम जरयाल को कैबिनेट में जगह नहीं देने पर उनके समर्थकों ने शिमला के माल रोड पर शपथ ग्रहण के बाद नए सीएम और पार्टी के खिलाफ नारे लगाए। इसके अलावा कई और ऐसे नेता है जिनको नई कैबिनेट में जगह नहीं दी गई।

इसके अलावा राज्य में पार्टी के ओबीसी नेता और पूर्व मंत्री रमेश धवाला और राकेश पठानिया को भी नई सरकार में कोई पद नहीं दिया गया। राकेश पठानिया केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के खेमे के माने जाते हैं।

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धावला पहली बार कांग्रेस की तरफ से साल 1998 में मंत्री बने थे। गौरतलब है कि बाद धावला निर्दलीय चुनाव लड़े थे और इनकी मदद से ही राज्य में बीजेपी की सरकार बनी थी। धावला को दूसरी बार धूमल सरकार में भी मंत्री पद दिया गया था लेकिन इस बार इन्हें कुछ नहीं मिला।


वहीं कांगड़ा जिले से तीन बार विधायक रहे पठानिया को भी नई कैबिनेट में जगह नहीं दी गई। पठानिया पूर्व सीएम धूमल और बीजेपी के कद्दावर नेता शांत कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं।

कांगड़ा के 15 से 12 सीटों पर इस बार बीजेपी ने जीत हासिल की है। कांगड़ा से 4 विधायकों को कैबिनेट में जगह दी गई है जिसमें एक गड्डी और एक ओबीसी और बाकी दो राजपूत हैं।

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