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केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, कानून में नहीं है कि दिल्ली देश की राजधानी

मंगलवार को इंदिरा जय सिंह ने सवाल उठाया था कि क्या संविधान में या संसद द्वारा पारित किसी कानून में दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया है?

Updated on: 15 Nov 2017, 06:03 PM

highlights

  • मंगलवार को इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि संविधान में यह भी नहीं कहा गया है कि देश की राजधानी दिल्ली ही होगी
  • राजीव धवन ने कहा कि आर्टिकल 239 AA के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री को विशेषाधिकार मिले हैं

नई दिल्ली:

दिल्ली और केन्द्र सरकार के बीच अधिकारों के बीच हो रही बहस में दिल्ली सरकार की ओर से दिए गए तर्कों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के सामने अगले मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। बुधवार को दिल्ली सरकार की ओर से राजीव धवन ने अदालत में जिरह की।

राजीव धवन ने कहा, 'संविधान के जरिये दिल्ली को स्पेशल राज्य का दर्जा मिला है, ये देश के संविधान की सौगात है, ना कि किसी संसदीय कानून के तहत बना है।'

उन्होंने कहा, 'दिल्ली सरकार महज एक प्रतिनिधि सरकार नहीं है, बल्कि विधायिका और जनता के प्रति उसकी अपनी जवाबदेही है।'

राजीव धवन ने कहा कि आर्टिकल 239 AA के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री को विशेषाधिकार मिले हैं, फैसला लेने से लेकर उस पर अमल करने तक का अधिकार सरकार के पास है।

सुनवाई के दौरान बुधवार को चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि उपराज्यपाल (एलजी) और दिल्ली के मुख्यमंत्री के बीच किसी मसले को लेकर मतभेद है, तो उसके पीछे वजह ठोस होनी चाहिए।

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इसी मसले पर मंगलवार को दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने दलीलें रखी थी। इंदिरा जय सिंह ने सवाल उठाया था कि, 'क्या संविधान में या संसद द्वारा पारित किसी कानून में दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया है?'

जयसिंह के मुताबिक राजधानी किसी कानून में घोषित नहीं हुई है और ऐसे में कल केंद्र सरकार देश की राजधानी कहीं और ले जाने का निर्णय ले सकता है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सिकरी, एएम खानवीलकर, डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच के सामने उन्होंने कहा था कि संविधान में यह भी नहीं कहा गया है कि राजधानी दिल्ली ही होगी, हालांकि इस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोई टिप्पणी नहीं की थी।

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