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सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा, जो कानून को बनाता है, उसके लागू कराने की भी पूरी शक्ति हो

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि जो कानून को बनाता है, उसके पास कानून को लागू कराने की भी पूरी शक्ति होनी चाहिए।

Updated on: 06 Dec 2017, 12:04 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच की प्रशासनिक शक्तियों को लेकर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने मंगलवार को कहा कि कानूनों को लागू कराने के लिए विधायी शक्तियां सरकार के पास अवश्य होनी चाहिए।

30 नवंबर को केंद्र की दलीलों के पूरा करने के बाद मंगलवार को केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच के सामने अपना प्रतिउत्तर दिया।

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा, 'जो कानून को बनाता है, उसके पास कानून को लागू कराने की भी पूरी शक्ति होनी चाहिए।'

गोपाल सुब्रमण्यम ने 'समुचित जवाबदेही' के सिद्धांत का हवाला देते हुए बेंच को कहा कि ऐसी स्थिति नहीं हो सकती है, जहां एक सरकार की विधायी शक्तियों का समर्थन कार्यकारी सत्ता द्वारा लागू किए गए कानूनों से न हो।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 239AA में दिए दिल्ली की स्थिति और शक्तियों का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें नहीं कहा गया है कि उपराज्यपाल मंत्री परिषद के सलाहकार और सहायक के रूप में काम करेगा।

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इसमें आगे कहा गया है कि उपराज्यपाल राष्ट्रपति के द्वारा विचार-विमर्श के लंबित न्यायिक चीजों में निर्णय ले सकते हैं।

हालांकि प्रतिउत्तर की प्रक्रिया मंगलवार को अधूरी रही और बुधवार को फिर से बेंच सरकार की दलीलों को सुनेगी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक अध्यक्ष उपराज्यपाल को बताया गया था।

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