रक्षा मंत्री सीतारमण ने कांग्रेस पर साधा निशाना, कहा- राफेल खरीद पर आरोप लगाना 'बेशर्मी'
सीतारमण ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे पर सवाल उठाने वालों को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि इस सौदे पर आरोप लगाना 'बेशर्मी' है।
नई दिल्ली:
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे पर सवाल उठाने वालों को आड़े हाथों लिया है और कहा है कि इस सौदे पर आरोप लगाना 'बेशर्मी' है। उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप लगाने के से सुरक्षा बलों का हौसला घटेगा।
सीतारमण का यह बयान कांग्रेस के उस आरोप के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि एक कारोबारी को फायदा पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री ने 'पूरे सौदे' को ही बदल डाला।
मीडिया से बातचीत के दौरान रक्षा मंत्री सीतारमण ने कहा, 'कांग्रेस का यह आरोप शर्मनाक है। इस सौदे को पारदर्शी प्रक्रिया के तहत ही अंतिम रूप दिया गया था।'
बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस सौदे को लेकर कलह जवानों के लिए ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि राफेल विमान की डील वायुसेना की शीघ्र जरूरत थी।
मंत्री ने कहा कि 36 राफेल विमानों के लिये अंतिम करार पर हस्ताक्षर सितंबर 2016 में हुआ था। इससे पहले भारत और फ्रांस के बीच पांच दौर की लंबी बातचीत हुई थी। इस सौदे को मंजूरी सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भी दी थी।
सीतारमण ने कहा, 'राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने 'आपात' इंतजाम के तहत यह सौदा किया है और यह 36 राफेल जेट विमान का सौदा संप्रग के कार्यकाल में 126 राफेल विमान प्राप्त कर सकने से 'बहुत बेहतर' है।'
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सीतारमण ने कहा कि इसे पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के कार्यकाल के मुकाबले 'बहुत कम' लागत में खरीदा गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या यह सौदा मौजूदा सरकार ने बहुत कम में किया है? उन्होंने कहा 'निश्चित रूप से'।
उन्होंने कहा, 'हमने जिस कीमत पर सौदा किया है, वह बहुत कम है। इस संबंध में हालांकि सौदे की राशि के बारे में नहीं बताया गया।' रक्षामंत्री ने कहा, 'लागत की तुलना करना शर्मनाक है। जिस मूल्य पर हमने यह सौदा किया, वह काफी कम है।'
उन्होंने यह भी कहा कि यह सौदा सुरक्षा संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति से मंजूरी मिलने के बाद किया गया है और सभी प्रक्रियाएं पूरी की गई हैं। रक्षामंत्री ने कहा, 'यह आधारहीन आरोप है। किसी भी प्रकिया का उल्लंघन नहीं किया गया है। किसी भी प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं किया गया है।'
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विपक्षी पार्टी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, "इस सौदे में 'प्रौद्योगिकी स्थांतरण' शामिल नहीं है, क्योंकि यह व्यवहार्य नहीं था और इससे सौदे की राशि बढ़ सकती थी।"
रक्षा मंत्री ने कहा, 'यह साधारण अर्थव्यवस्था है। जब आप 126 युद्धक विमान खरीदने के बारे में बात करते हैं तो 'प्रौद्योगिकी स्थांतरण' के बारे में सोचा जा सकता है। जब आप आपात आधार पर केवल 36 विमान खरीदते हैं, तो इसमें 'प्रौद्योगिकी स्थांतरण' को शामिल करने का कोई मतलब नहीं है। इस स्थांतरण से कोई फायदा नहीं होगा। इससे लागत में बढ़ोतरी होगी।'
निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाए जाने के आरोप पर सीतारमण ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यापार प्रतिनिधि चयन करने में कोई भूमिका नहीं है।'
उन्होंने कहा, 'प्रतिनिधिमंडल में कौन रहेगा, यह प्रधानमंत्री के हाथ में नहीं है।'
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इसबीच शुक्रवार को कहा, 'हम रणनीतिक साझेदारी से रक्षा विनिर्माण को प्रमोट करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर कोई कंपनी किसी अन्य निजी कंपनी के साथ सहयोग करती है, तो इसमें सरकार का कोई हाथ नहीं होता। आप विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्गत किसी के साथ भी सहयोग स्थापित कर सकते हैं। सरकार का इससे कुछ लेना-देना नहीं है।'
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वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर भारतीय रक्षा बल को मजबूत करने की दिशा में लापरवाही बरतने के लिए निशाना साधा था।
रिजिजू ने ट्वीट किया, 'क्या पांच दशकों तक राज करने वाली पार्टी इतनी लापरवाह हो सकती है? कांग्रेस हमारी सेना को मजबूत करने में काफी कम रुचि रखती थी और दलाली (कमीशन) में ज्यादा ध्यान देती थी।'
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि संप्रग सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2012 में राफेल विमान के तय किए गए मूल्य से तीन गुणा ज्यादा देकर राजग सरकार ने यह सौदा मंजूर किया है।
वहीं सीतारमण के इस बयान के बाद कांग्रेस ने फिर से पलटवार किया है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'राफेल विमान खरीदने को लेकर क्या जल्दी थी क्या वो देश को बताएंगी की 34 महीने बीत गए लेकिन इमरजेंसी परचेज का मतलब क्या है।'
सुरजेवाला ने कहा कि मंत्री ये बताएं कि जब 36 राफेल भारत आएंगे। साथ ही सीतारमण के प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाया और कहा कि पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस रक्षा मंत्रालय में नही कर सकती हैं।
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