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तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा इंडियन साइंस कांग्रेस में हिस्सा नहीं लेंगे

तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा मणिपुर में होने वाले इंडियन साइंस कांग्रेस में हिस्सा नहीं लेंगे। इससे पहले भी एक कार्यक्रम में उन्हें सम्मिलित होना था लेकिन उस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था।

Updated on: 12 Mar 2018, 11:16 PM

नई दिल्ली:

तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा मणिपुर में होने वाले इंडियन साइंस कांग्रेस में हिस्सा नहीं लेंगे। इससे पहले भी एक कार्यक्रम में उन्हें सम्मिलित होना था लेकिन उस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था।

उनके सम्मेलन में शामिल न होने की जानकारी इस आयोजकों ने दी है। उनके भारत में शरण लेने के 60 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में राजघाट पर आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था।

इस कार्यक्रम को राजघाट पर आयोजित किया जाना था लेकिन उसकी तारीख और स्थान दोनों में परिवर्तन कर दिया गया। अब ये कार्यक्रम धर्मशाला में इस माह के अंत में होगा।

इंडियन साइंस कांग्रेस सालाना कार्यक्रम है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री करते हैं। इंडियन साइंस कांग्रेस एसोसिएशन (आईएनएसए) के अध्यक्ष अच्युत सामन्ता ने कहा कि तिब्बती धर्म गुरू को इस कार्यक्रम में शिरकत करना था लेकिन उन्होंने इसमें शामिल होने में असमर्थता जताई है।

दलाई लामा को लेकर चीन भारत से विरोध दर्ज करता रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि हाल ही में चीन के साथ तनाव बढ़ा था और रिश्तों को बेहतर करने के लिये दलाई लामा को सरकार के कार्यक्रमों और मंत्रियों से दूर रखा जा रहा है।

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लेकिन हाल ही में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दलाई लामा को लेकर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और भारत की जो नीति इस संबंध में पहले थी वही बरकरार है।

उन्होंने कहा, 'हमें बताया गया कि वो दो महीने पहले ही मणिपुर गए थे।'

हालांकि इंडियन साइंस कांग्रेस की वेबसाइट अब भी उन्हें अतिथि के तौर पर बता रही है।

सामन्ता ने बताया कि सम्मेलन की तारीक को आगे बढ़ाए जाने के कारण कई नोबल पुरस्कार विजेताओं ने आने में असमर्थता जताई है। इस सम्मेलन में करीब 10 नोबल विजेताओं को निमंत्रित किया गया था।

इस सम्मेलन को जनवरी में हैदराबाद के सेंट्रल यूनिवर्सिटी में आयोजित किया जाना था। लेकिन कानून-व्यवस्था के कारण इसकी तारीख और जगह में परिवर्तन किया गया।

इस सम्मेलन में सिर्फ एक नोबल विजेता मुहम्मद यूनुस शिरकत कर रहे हैं। इन्होंने बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी।

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