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मध्य प्रदेशः पत्नी की गैरमौजूदगी में दिए गए तीन तलाक को कोर्ट ने बताया अवैध

उज्जैन के फैमिली कोर्ट ने एक महिला को उसके पति द्वारा दिए गए तीन तलाक को 'अवैध, प्रभावहीन और शून्य' घोषित कर दिया।

Updated on: 24 Apr 2017, 11:09 AM

highlights

  • उज्जैन के फैमिली कोर्ट ने पती के तीन तलाक को ठहराया अवैध
  • दहेज की मांग को लेकर पत्नी की गैरमौजूदगी में दिया था तलाक

नई दिल्ली:

उज्जैन के फैमिली कोर्ट ने एक महिला को उसके पति द्वारा दिए गए तीन तलाक को 'अवैध, प्रभावहीन और शून्य' घोषित कर दिया। कोर्ट का कहाना है कि तलाक देते समय महिला के पति ने मुस्लिम धार्मिक ग्रंथों में दी गई प्रक्रिया का पालन नहीं किया, इसलिए यह तलाक गैरकानूनी है।

पीड़ित महिला के वकील अरविंद गौड़ ने इस बारे में बताया कि उज्जैन फैमिली कोर्ट के अडिशनल प्रिंसिपल जज ने अपने आदेश में कहा है, 'तौसीफ शेख के द्वारा अर्शी खान को नौ अक्तूबर 2014 को दिया गया तलाक अवैध, प्रभावहीन और शून्य है।'

उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अर्शी की शिकायत पर सुनवाई के दौरान नौ मार्च को यह आदेश दिया। महिला के वकील ने बताया कि उज्जैन निवासी अर्शी और देवास के रहने वाले तौसीफ का निकाह 19 जनवरी 2013 को हुआ था।

निकाह के कुछ समय बाद ही वह पत्नी से दहेज की मांग करने लगा। जब उसकी दहेज की मांग ठुकरा दी गई तो वह अपनी पत्नी को मानसिक रूप से परेशान करने लगा।

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गौड़ ने बताया कि परेशान होकर महिला अपने पति का घर छोड़कर मायके वापस आ गई। बाद में उसने अपने पति के खिलाफ दहेज विरोधी कानून के तहत मुकदमा दायर कर दिया, जो अब भी अदालत में विचाराधीन है।

गौड़ ने बताया कि इसके बाद तौसीफ ने अर्शी को नौ अक्तूबर 2014 को मुस्लिम समाज में चली आ रही प्रथा के अनुसार देवास में तीन लोगों के सामने पीड़ित महिला की गैरमौजूदगी में तलाक दे दिया।

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पीड़िता को एक नोटिस के जरिए सूचित किया कि उसे तीन तलाक बोलकर तलाक दे दिया है। उन्होंने बताया कि इसके बाद उसके मुवक्किल ने इस नोटिस का जवाब दिया और अदालत में इसे यह कहकर चुनौती दी कि तलाक में मुस्लिम धार्मिक ग्रंथों के नियमों का पालन नहीं किया गया।