विदेश नीति पर संसद में घिरी मोदी सरकार, अब सुषमा देंगी जवाब
संसद के उच्च सदन राज्यसभा में एकजुट विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के विदेश नीति पर गंभीर सवाल उठाए।
नई दिल्ली:
संसद के उच्च सदन राज्यसभा में एकजुट विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर गंभीर सवाल उठाए। कांग्रेस ने चीन के साथ जारी सैन्य विवाद, नेपाल के साथ संबंध और पाकिस्तान से जारी तनातनी को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में बताना चाहिए कि उनके 65 विदेश दौरों का क्या नतीजा निकला?' शर्मा ने आरोप लगाया कि पीएम ने अपने एक भी विदेश दौरे की जानकारी नहीं दी।
शर्मा ने भारत-चीन सीमा विवाद का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हुई बातचीत को संसद से बताना जरूरी नहीं है।
गौरतलब है कि जर्मनी के हैम्बर्ग में जी-20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी। हालांकि यह अनौपचारिक मुलाकात थी।
कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा, 'उन्हें कैमरे के फ्रेम की चिंता होती है इसलिए अधिकारियों को ऊपर जाकर रिसीव न करने की हिदायत है।'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को भारत द्वारा अलग-थलग किए जाने का दावा गलत है और भारत को इस तरह के दावों से बचना चाहिए।
शर्मा ने कहा, 'भारत वैश्विक रूप से महाशक्ति बनना चाहता है इसलिए इसे इस तरह के बयानबाजी से बचना चाहिए।'
शर्मा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की विदेश नीति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी की आलोचना की। उन्होंने कहा, '1971 में सेना की जीत हुई थी। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। आपने भी कभी उनका नाम नहीं लिया। आपकी राजनीतिक विचारधारा हमसे अलग हो सकती है लेकिन आप इतिहास दोबारा नहीं लिख सकते।'
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शर्मा का सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर केंद्र सरकार की खुद की पीठ थपथपाने की तरफ था। गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में नियंत्रण रेखा के पार जाकर भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी और पाकिस्तान के आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया था।
बीजेपी इस सर्जिकल स्ट्राइक को पाकिस्तान पर भारत की भारी बढ़त के रूप में प्रचारित करती रही है। साथ ही वह वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने का दावा करते रहे हैं।
वहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विपक्षी दलों के रुख का स्वागत करते हुए कहा कि विदेश नीति पर सवाल और चर्चा को समय में न बांधा जाए।
विपक्षी दलों के कड़े रुख को देखते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, 'विदेश नीति पर सवाल और चर्चा को समय में न बांधा जाए। ये मैंने सभापति जी को लिखा है। जो भी संसद इस विषय पर बोलना चाहे और जितना भी बोलना चाहे उन्हें बोलने दिया जाए। मैं हर सवाल का जवाब दूंगी।'
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